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खबर का असर : शुरू हुआ फरियादियों के लिए कांग्रेस का 'जनता दरबार', मंत्री ने स्वीकारी ये 'भूल' - राजस्थान कांग्रेस

ईटीवी भारत की खबर का असर देखने को मिला है. ईटीवी भारत ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार में मंत्रियों शुरू किए गए जनसुनवाई कार्यक्रम की पोल खोली थी. खबर को प्रमुखता से दिखाए जाने के बाद राज्य के कृषि मंत्री ने अव्यवस्थाओं की बात को स्वीकार किया है. साथ ही जनसुनवाई भी शुरू कर दी है.

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Published : Oct 10, 2019, 9:03 PM IST

जयपुर.राजस्थान कांग्रेस ने पीसीसी मुख्यालय पर मंत्रियों का जनसुनवाई कार्यक्रम 7 अक्टूबर को आनन-फानन में शुरू तो कर दिया लेकिन ये केवल एक दिन तक ही सिमटता नजर आया. ऐसे में जनसुनवाई के लिए जयपुर पहुंचे कई फरियादियों को निराश ही लौटना पड़ा. लेकिन ईटीवी भारत पर खबर दिखाए जाने के बाद अब नए रोस्टर के साथ जनसुनवाई कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है.

दो दिन की निराशा के बाद गुरुवार को पीसीसी मुख्यालय पर जनता दरबार लगाया गया. कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के साथ पीसीसी महासचिव पुखराज पाराशर और संगठन महासचिव महेश शर्मा ने उपस्थित कार्यकर्ताओं और नागरिकों की समस्याएं सुनकर समाधान का आश्वासन दिया. पीसीसी में आने वाले कार्यकर्ताओं में अधिकांश पानी बिजली सड़क और कृषि विभाग से जुड़ी हुई समस्याएं लेकर आए.

ईटीवी भारत की खबर का असर, पीसीसी मुख्यालय में शुरू हुआ 'जनता दरबार'

गुरुवार के दिन कुल 60 लोग अपनी समस्याएं लेकर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पहुंचे थे. इनमें अधिकांश अर्जियां तबादलों को लेकर थी. ज्यादातर कार्यकर्ताओं ने तबादलों को लेकर लालचंद कटारिया को ज्ञापन सौपे. हालांकी आज की जनसुनवाई में मंत्री हरीश चौधरी को आना था लेकिन उनकी उपल्बधता के अभाव में आज आनन फानन में मंत्री लाल चंद कटारिया को को बुलाया गया. अब प्रदेश कांग्रेस में शुक्रवार को खाद्य मंत्री रमेश मीणा जनसुनवाई करेंगे.

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दरअसल राजस्थान कांग्रेस में परंपरा रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्री अपने आवास पर ही जनता दरबार लगाते रहे हैं. रोजाना सभी मंत्रियों के आवास पर जनसुनवाई का समय तय किया गया है. लेकिन संगठन को महत्व देने के मकसद से इस बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भाजपा की तर्ज पर पीसीसी में जन सुनवाई करने का निर्णय लिया था. लेकिन यह निर्णय ही पीसीसी पर भारी पड़ता दिखाई दिया.

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कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने माना कि अभी शुरुआती दिन हैं, इसलिए कार्यक्रम व्यवस्थित नहीं हो पाया. उनका कहना है कि आने वाले दिनों में होने वाली जनसुनवाई में कार्यकर्ताओं की बड़ी मौजूदगी देखने को मिलेगी. पीसीसी में जनसुनवाई का मकसद यह संदेश आमजन में पहुंचाना था कि सत्ता का रास्ता संगठन से होकर जाता है. लेकिन बिना किसी तैयारी और मंत्रियों की सहमति के जनसुनवाई का कार्यक्रम तय करने की वजह से अब संगठन को बैकफुट पर आना पड़ा है.

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