जयपुर. राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक और आलाकमान से आश्वासन मिलने के बाद मंगलवार को करीब 1 महीने बाद उपमुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट जयपुर स्थित अपने सरकारी निवास पर पहुंचे. इस दौरान ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए सचिन पायलट ने खुद पर लगे आरोपों को लेकर कहा कि किसी पर भी आरोप लगा देना, उंगली उठा देना, कीचड़ फेंक देना आसान होता है, लेकिन वास्तविकता और हकीकत क्या है यह जनता भी जानती है.
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि हमलोगों ने जो मुद्दे उठाए थे, वह गवर्नेंस से जुड़े इश्यू थे, लीडरशिप के इश्यू थे, पब्लिक डिलीवरी के मुद्दे थे, नेताओं और कार्यकर्ताओं की भागीदारी के इश्यू थे और उनके मान सम्मान के इश्यू थे. पार्टी ने उन सब मुद्दों को सुना है और उसका समाधान करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है. यह कमेटी जल्द ही बैठक करके इन समस्याओं का निराकरण करेगी.
'कुछ नहीं बोलने के बाद भी एक्शन लिया गया, यह अनवांटेड था'
वहीं, खुद के और उनके साथ गए मंत्रियों-विधायकों को पदों से बर्खास्त करने पर उन्होंने कहा की मेरी जिम्मेदारी सब के प्रति है. जो विधायक जैसलमेर में है, जयपुर में है या कहीं और हैं मेरे अध्यक्ष रहते उन्हें टिकट मिली. उन्हें हमने चुनाव जितवाया है, लेकिन जो विधायक मेरे साथ गए थे किसी भी विधायक ने पार्टी के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा है. इसके बावजूद भी उनके खिलाफ एक्शन लिया गया यह अनवांटेड था.
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सीएम अशोक गहलोत के नकारा और निकम्मा के बयान पर पायलट ने कहा कि मुझे मालूम है, मैंने देखा था मुझे नकारा-निकम्मा कहा, लेकिन मैंने रिस्पांस नहीं दिया. मुझे लगा कि यह स्वस्थ परंपरा नहीं है. राजनीति में आप का विरोध हो सकता है, नापसंद हो सकता है, असहमति हो सकती है, वैचारिक मतभेद हो सकता है और दुश्मनी भी हो सकती है, लेकिन शब्दों का चयन दुनिया देखती है. इसलिए मैंने बहुत कुछ सुनकर भी कोई रिस्पांस नहीं किया.
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