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विद्युत विनियामक आयोग प्रदेश में सौर ऊर्जा उद्योग को हतोत्साहित कर रहा है: अनिता भदेल - Rajasthan Legislative Assembly

भाजपा विधायक अनिता भदेल ने मंगलवार को सदन में रूफटॉप सोलर उत्पादन को लेकर राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग की ओर से जारी किए जा रहे नए नियमों का विरोध किया. उन्होंने कहा कि विद्युत विनियामक आयोग प्रदेश में सौर ऊर्जा उद्योग को हतोत्साहित कर रहा है.

Rajasthan Legislative Assembly,  BJP MLA Anita Bhadel
भाजपा विधायक अनिता भदेल

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Published : Mar 9, 2021, 4:04 PM IST

जयपुर.प्रदेश में रूफटॉप सोलर उत्पादन को लेकर राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग की ओर से जारी किए जा रहे नए नियमों का विधानसभा में भाजपा विधायक अनिता भदेल ने विरोध किया है. शून्यकाल में अनिता भदेल ने यह मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि इससे सौर ऊर्जा उद्योग हतोत्साहित होंगे.

भाजपा विधायक अनिता भदेल ने किया विरोध

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अनिता भदेल के अनुसार किसी भी प्रदेश में औद्योगिक विकास की मुख्य धुरी सस्ती बिजली ही होती है, लेकिन राज्य सरकार ने बिजली के बोझ को कम करने के बजाय और बढ़ाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि नए नियम असंगत है. नए नियम के तहत नेट मीटरिंग केवल घरेलू कृषि और रोड लाइट से जुड़े कामों में होगी. एमएसएमई और छोटे उद्योग के साथ बड़े उद्योग इससे सीधे तौर पर प्रभावित होंगे और उन्हें महंगी बिजली उत्पादन कर सस्ते दामों पर देना पड़ेगी और महंगे दामों पर खरीदना पड़ेगी. इससे उनकी लागत बढ़ेगी. अनिता भदेल ने नियमों में संशोधन की मांग की.

अविनाश गहलोत ने उठाई स्थानीय युवकों को रोजगार की मांग

शून्यकाल में भाजपा विधायक अविनाश गहलोत ने जैतारण विधानसभा क्षेत्र में सीमेंट कंपनियों की ओर से स्थानीय युवकों को रोजगार नहीं दिए जाने का मामला उठाया. गहलोत ने कहा कि क्षेत्र में संचालित दो सीमेंट कंपनियां अल्ट्राटेक और मियोको सीमेंट के कारखानों में स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा बल्कि बाहर से लोगों को लाकर नौकरी दी जा रही है. इससे स्थानीय लोगों में रोष है.

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अविनाश गहलोत ने कहा कि इसी विरोध के चलते स्थानीय ग्रामीण सरपंच और पंच सीमेंट फैक्ट्री के बाहर धरने पर बैठे हैं, लेकिन अब तक फैक्ट्री संचालकों ने उनसे वार्ता नहीं की. इससे आने वाले दिनों में यहां तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है. उन्होंने कहा कि जब अन्य राज्य अपने प्रदेशों के युवाओं को सरकारी नौकरियों में और अन्य नौकरियों में प्राथमिकता देने के लिए नियम बनाते हैं तो राजस्थान ऐसा क्यों नहीं करता.

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