जयपुर.जीवन में सबसे अनमोल रिश्ता मां का होता है और यही मां अपने बच्चों की पहली गुरु या शिक्षका भी होती है. कहते हैं मां जो बच्चों को सिखाती है, बच्चा वैसा ही आचरण अपने जीवन में उतारता है. अब कोरोना काल में चल रहे लॉकडाउन के बीच मां पर कुछ ऐसी ही जिम्मेदारियों का बोझ भी बढ़ गया है. स्कूल और शैक्षणिक संस्थान बंद है, ऐसे में बच्चों की मम्मी अब घर में शिक्षक की भूमिका में है. इस बार मदर्स डे पर मांए बच्चों की गुरु मां की भूमिका में दिख रही हैं.
लॉकडाउन में बढ़ गई है मां की जिम्मेदारी लॉकडाउन के चलते प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान बंद है लेकिन स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई का सहारा लेकर बच्चों को पढ़ाई करवा रहे हैं और इसी तकनीक ने मम्मियों का काम बढ़ा दिया है. लॉकडाउन से पहले जहां गृहिणियों को कुछ समय खुद के लिए मिलता था लेकिन अब वो भी अपने बच्चों की पढ़ाई में लगाना पड़ रहा है. मां है और वो अपने इस कर्तव्य को अच्छी तरह समझती भी है. यही कारण है सुबह उठते ही घर के काम के साथ ही बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था में जुट जाती है और ऑनलाइन क्लास के बाद मम्मी की क्लास शुरु हो जाती है.
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पढ़ाई के नई तरीके से अधिकतर अनजान है लेकिन अपने बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए ये उन नए तरीकों को भी सीख रही है जो उनके बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए मौजूदा समय में बहुत जरूरी है. वैशाली नगर निवासी पारुल शर्मा के अनुसार इस काम में काफी दिक्कतें भी आ रही है और परेशानियां भी लेकिन वो मां है और बच्चों के भविष्य के आगे अपनी परेशानियां उन्हें अब गौण लगने लगी है.
वहीं मौजूदा लॉकडाउन के चलते अब हर परिवार का रूटीन बदल चुका है. पहले बच्चे स्कूल और पति ऑफिस या काम पर चले जाया करते थे, लेकिन अब लगभग घर का हर सदस्य घर में ही है. ऐसे में उनकी रसोई से जुड़ी तमाम जरूरतें भी मां रूपी गृहणी ही पूरा करती है. खैर कोरोना काल में जीवन अस्त व्यस्त है और हर कोई अपने घर में है कैद है, ऐसे में जननी यानी मां पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है घर परिवार की और अपने बच्चों के भविष्य की. मां अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही है. इसीलिए तो कहते हैं जीवन में मां का स्थान कोई और नहीं ले सकता.