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ठेका कर्मियों का SMS अस्पताल में प्रदर्शन, स्थायीकरण और न्यूनतम मजदूरी की मांग - राजस्थान की ताजा हिंदी खबरें

एसएमएस अस्पताल में करीब 20 साल से ठेके पर काम कर रहे ठेकाकर्मियों ने मंगलवार को स्थायीकरण और न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर एसएमएस अस्पताल में प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने दो घंटे कार्य बहिष्कार किया. उनका कहना है कि मांगों पर गौर नहीं किया गया, तो वे 21 जनवरी से वे अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करेंगे.

Work boycott of Contractors, ठेकाकर्मियों का कार्य बहिष्कार
ठेकाकर्मियों का एसएमएस अस्पताल में प्रदर्शन

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Published : Jan 19, 2021, 2:54 PM IST

जयपुर. एसएमएस अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग में प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से 15-20 साल से ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों ने मंगलवार को प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल में प्रदर्शन किया और दो घंटे कार्य बहिष्कार किया. इन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ठेकेदार और प्लेसमेंट एजेंसियों को एक कर्मचारी के लिए 18 हजार रुपए का भुगतान कर रही है, लेकिन कर्मचारी को महज 5-7 हजार रुपए ही मिल पा रहे हैं. सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स के नाम पर भी कटौती की जा रही है, जो न्यायोचित नहीं है.

ठेकाकर्मियों का एसएमएस अस्पताल में प्रदर्शन

ऐसे में ठेकेदार, प्लेसमेंट एजेंसी और संविदा के माध्यम से लगे कम्प्यूटर ऑपरेटर, लैब तकनीशियन, वार्ड बॉय, ट्रॉलिमैन, इलेक्ट्रिशियन, टेलीफोन ऑपरेटर, फार्मासिस्ट, हेल्पर, सफाई कर्मचारी, प्रयोगशाला सहायक और ड्राइवर ने आज अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के नेतृत्व में दो घंटे कार्य बहिष्कार कर प्रदर्शन किया है. प्रदर्शन कर रहे ठेकाकर्मियों का कहना है कि उनके लिए सीधी भर्ती निकाल कर उन्हें नियमित नियुक्ति प्रदान की जाए. जिससे उन्हें ठेकेदारों के शोषण से मुक्ति मिल सके.

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि अधिकारियों से हुई वार्ता के बाद ठेकाकर्मियों की उनकी समस्याओं के निस्तारण की उम्मीद बंधी थी. इसलिए उन्होंने लंबे समय तक इंतजार किया, लेकिन अब जब उन्हें स्थायीकरण की कोई उम्मीद नहीं दिख रही तो ठेकाकर्मी आंदोलन पर उतर आए हैं.

मुख्य संघर्ष संयोजक मुकेश बांगड़ का कहना है कि अभी सरकार ठेकेदारों को 17 हजार रुपए एक व्यक्ति के लिए भुगतान कर रही है, लेकिन कर्मचारी को महज 5-7 हजार रुपए ही मिल पा रहे हैं, यह न्यायोचित नहीं है. सरकार को पूरा पैसा कर्मचारी को देना चाहिए. महिला ठेकाकर्मी का कहना है कि कोरोना काल में उन्होंने दोगुना काम किया, लेकिन कोई आर्थिक फायदा नहीं हुआ. जब हम आवाज उठाते हैं तो ठेकेदार हटाने की धमकी देता है.

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ठेका कर्मचारी मुख्य संघर्ष संयोजक मुकेश बांगड़ और संघर्ष संयोजक नाथूसिंह गुर्जर का कहना है कि जब तक स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है, तब तक उनका पूरा वेतन सीधे उनके खाते में जमा करवाया जाए. आज और कल दो घंटे कार्य बहिष्कार कर प्रदर्शन किया जा रहा है. अगर अब भी सरकार उनकी मांगों पर गौर नहीं करती है तो 21 जनवरी से सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार कर अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया जाएगा.

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