जयपुर. कांग्रेस दिलोजान से मिशन 2023 के लिए एक मजबूत और टिकाऊ मुद्दे की तलाश में है. शायद उसकी ये उम्मीद ईस्ट राजस्थान कैनाल परियोजना पूरी करता है (Congress Meet On ERCP). तभी इसके नफे नुकसान का गणित लोगों को और अपने अपनों को समझाने की कोशिश की जा रही है. भाजपा को उसके टूल के जरिए ही घेर रही है. दरअसल, ईआरसीपी को खाका भी तत्कालीन प्रदेश भाजपा ने ही खींचा था और परियोजना को लेकर पीएम तक हरी झंडी दे चुके थे. लेकिन दिसंबर 2018 में जनता का फरमान कांग्रेस के पक्ष में आया तो इस अति महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी ब्रेक लग गया. इसी ब्रेक का कारण भुनाना चाहती है कांग्रेस. जताना चाहती है कि 13 जिलों की जनता की फिक्र को वो समझती है. पानी की किल्लत का दर्द उसे भाजपा के मुकाबले ज्यादा पता है. कुल मिलाकर कांग्रेस 2018 में मिली बढ़त को बरकरार रखने की जुगत में है.
जादूगर का छुपा एजेंड!: विशेषज्ञ मानते हैं कि राजनीति के माहिर खिलाड़ी 'जादूगर' अशोक गहलोत इस मुद्दे को पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Gehlot Vs Pilot) के बरअक्स खड़ा करना चाहते हैं. पूर्वी राजस्थान में पायलट का अच्छा खासा होल्ड है. 2018 में उनकी मेहनत और चेहरे ने कांग्रेस को खास मुकाम दिला दिया. लेकिन 2020 में पायलट के बागी तेवरों ने सीएम को नाराज कर दिया. नाराजगी अब भी कई मंचों पर जाहिर की जाती रही है. यही वजह है कि इस क्षेत्र में वो 'ईआरसीपी बनाम पायलट' के जरिए मैजिक क्रिएट करना चाहते हैं. 2023 के रण में बतौर हथियार नहर परियोजना का इस्तेमाल करना चाहते हैं.