जयपुर.सीएम गहलोत गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक (CM Gehlot on Jal Jeevan Mission) की. इस दौरान उन्होंने जल जीवन मिशन, हर घर तक नल से जल, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना सहित अन्य विषयों पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने ईआरसीपी के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को हर राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए योजना के मापदंड तय करने चाहिए.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जल जीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए (Jal Jeevan Mission review meeting) जल स्त्रोतों की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि उपलब्ध जल स्त्रोतों का उचित सर्वेक्षण कर ही जल जीवन मिशन के तहत परियोजनाएं बनाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य के 13 जिलों में मिशन की सफलता के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ई.आर.सी.पी.) अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे जिलों में पानी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. केन्द्र सरकार को जल्द से जल्द ई.आर.सी.पी. को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देना चाहिए ताकि इसका निर्माण जल्द पूरा हो और प्रदेश की जनता लाभान्वित हो सके.
केंद्र की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत हो:उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को राज्यों की भौगोलिक (CM Gehlot on ERCP) परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए योजना के मापदंड तैयार करने चाहिए. उन्होंने कहा कि राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थिति और छितराई बसावट को देखते हुए हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता है. अन्य राज्यों की तुलना में यहां पर प्रति नल कनेक्शन लागत बहुत अधिक है. उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए मिशन में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाकर 90 प्रतिशत की जानी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन में वर्ष 2019 से अब तक राज्य सरकार की ओर से 3,950 करोड़ रुपये व्यय कर 16.79 लाख परिवारों को लाभान्वित किया जा चुका है.