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राज्यपाल का घेराव करने जा रहे किसानों और पुलिस के बीच टकराव, सड़क पर दिया धरना...सहमति बनी, 11 सदस्यों का प्रतिनिधि मंडल गया वार्ता को - Rajasthan news

अपनी तमाम मांगों को लेकर सोमवार को राज्यपाल का घेराव करने गए किसानों को पुलिस ने बीच में ही रोक लिया. इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच टकराव (clash between farmers and police) हो गया. आक्रोशित किसान सड़क (farmer protest on road) पर ही धरने पर बैठ गए. कुछ देर बाद सहमति बनी और 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल (11 members delegation went to meet Governor) से वार्ता करने के लिए अंदर गया.

clash between farmers and police
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Published : Jan 24, 2022, 3:11 PM IST

Updated : Jan 24, 2022, 8:18 PM IST

जयपुर. राजस्थान के दौसा और अलवर में किसानों की जमीन नीलामी और 5 एकड़ से कम जमीन वाले किसानों की जमीन नीलाम नहीं किए जाने वाले कानून को राज्यपाल की ओर से अटकाए रखने को लेकर किसानों में आक्रोश भड़क गया है. इसके विरोध में भारतीय किसान संघ एवं अन्य किसान संगठनों की ओर से राजधानी जयपुर के शहीद स्मारक से लेकर सिविल लाइंस फाटक तक राज्यपाल का घेराव करने का निर्णय लिया.

सोमवार को नाराज किसान जब राज्यपाल का घेराव करने जा रहे थे तो पुलिस ने उनको शहीद स्मारक पर ही बेरीकेडिंग कर रोक लिया. भारतीय किसान संघ से जुड़े नेता पुलिस की इस कार्रवाई से भोचक्के रह गए. इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच टकराव (clash between farmers and police) के हालात बन गए. हालांकि पुलिस ने किसानों को आगे नहीं जाने दिया और इससे नाराज होकर किसान शहीद स्मारक के बाहर सड़क (farmer protest on road) पर ही धरने पर बैठ गए.

clash between farmers and police

पढ़ें.किसान पर सियासत! किसानों की जमीन नीलामी पर हो रही निंदा आधारित राजनीति, शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं ने नहीं निभाई जिम्मेदारी: रामपाल जाट

नाराज किसानों ने राजस्थान में किसानों की नीलाम हो रही जमीन और राज्यपाल की ओर से 5 एकड़ तक के किसानों को नीलामी से राहत देने वाले कानून को रोकने के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया. हालांकि बाद में भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष राजाराम मील की ओर से यह तय कर लिया गया की 11 किसानों का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल को अपना ज्ञापन देने जाएगा.

हालांकि करीब 20 मिनट तक किसान और पुलिस के बीच समझाइश का दौर चलता रहा, लेकिन बाद में धरने पर बैठे किसानों ने प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से ज्ञापन देने का निर्णय लिया. हालांकि किसानों का एक धड़ा यह चाहता था कि वह सिविल लाइंस तक मार्च निकाले लेकिन उन्हें इस बात की इजाजत नहीं दी गई. इसके बाद किसान दो धड़ों में बंट गए और आधे किसान इस बात के लिए तैयार नहीं हुए कि वह बिना पैदल मार्च निकाले लौटें. हालांकि बाद में किसानों के बीच सहमति बन गई और 11 सदस्यों का एक प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन (11 members delegation went to meet Governor) देने चला गया.

Last Updated : Jan 24, 2022, 8:18 PM IST

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