जयपुर. बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं को लेकर ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन के महामंत्री सीएच वेंकटचलम रविवार को मीडिया से रूबरू हुए. बैंकिंग क्षेत्र में कई सारी समस्याएं हैं. इस दौरान उन्होंने कहा, कि एआईबीईए बैंकों के विलय, निजीकरण सहित अन्य समस्याओं के समाधान के लिए एक अभियान शुरू करेगा.
सीएच वेंकटचलम की मीडिया से खास बातचीत वेंकटचलम ने कहा, कि बैंकों में लगभग 130 लाख करोड़ रुपए की जमा राशि है. जो आम लोगों की बचत राशि है. लोगों की बैंकों में जमा इस बहुमूल्य बचत को सुरक्षित रखने के लिए सरकारी क्षेत्र के बैंकों को और मजबूत किया जाना चाहिए. सरकार बैंकों के निजीकरण और कॉरपोरेट के पक्ष में अपनी कथित बैंकिंग सुधार नीतियों को लागू करना चाहती है. यदि बैंकों का निजीकरण किया जाता है तो लोगों के धन के लिए जोखिम है.
यह भी पढ़ें-भाजपा का राष्ट्रवाद 'छद्म' है, हम 'असली' राष्ट्रवादी : CM अशोक गहलोत
ग्रामीण क्षेत्रों में खुलें ज्यादा शाखाएं...
उन्होंने कहा, कि निजी कॉर्पोरेट मालिक अपने खुद के व्यवसायिक उद्देश्य के लिए इस धन का उपयोग करेंगे, ना कि राष्ट्रीय विकास के लिए. वेंकटचलम ने कहा एसबीआई के साथ सहयोगी बैंकों के विलय के बाद 6 हजार 950 शाखाएं बंद या फिर विलय कर दी गई हैं.5 लाख गांव ऐसे हैं, जहां कोई बैंक शाखा ही नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक बैंक शाखाएं खोली जानी चाहिए.
वेंकटचलम ने कहा, कि सरकार 10 बैंकों का 4 बैंक में विलय करेगी और 6 नेशनल, राष्ट्रीयकृत बैंकों को बंद करने की घोषणा की है. यह एक गलत कदम है और यह ग्राहक सेवा, रोजगार और नौकरियों को प्रभावित करेगा.
ऋणों नहीं चुकाने वालों पर हो कार्रवाई...
सीएच वेंकटचलम ने कहा, कि बैंकों में खराब ऋण चिंताजनक रूप से बढ़ गए हैं. यह लगभग 10 लाख करोड़ रुपए हैं. सरकार ने संसद में स्वीकार किया है कि 9331 जानबूझकर चूककर्ता है जो अकेले ही 1,22, 018 करोड़ के देनदार हैं. खराब ऋणों की वसूली के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. वेंकटचलम ने मांग की, कि जो जानबूझकर लोन चुकाने में चूक करता है, उसे अपराध घोषित किया जाए. उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो.
यह भी पढ़ें-Delhi: सीआर पार्क में गिरी इमारत, 2 मजदूरों को निकाला बाहर, 1 मजदूर के फंसे होने की आशंका
उन्होंने कहा कि चूककर्ताओं को सभी तरह की छूट दी जा रही है. विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, जतिन मेहता जैसे लोन लेने वाले विदेश भाग गए. 2019 में 7,39,541 करोड़ रुपए NPA के रूप में पड़े हैं.
वेंकटचलम ने कहा, कि कर्ज को हम लोग वसूलना चाहते हैं, लेकिन सरकार समाधान चाहती है और समाधान के जरिए वह कर्ज लेने वाले को छूट दे रही है. वेंकटचलम के मुताबिक मोदी जी कहते हैं वे जनता के साथ हैं. वहीं, दूसरी तरफ से कहते हैं, कि वे पूंजी पतियों के साथ हैं. मोदी जनधन खाता खोलकर हर व्यक्ति का खाता बैंक में खोलना चाहते हैं. दूसरी ओर बैंकों को मर्ज कर हजारों शाखाएं बंद कर रहे हैं. सच आखिर क्या है.