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विधानसभा में गूंजा JVVNL में अनियमितताओं का मामला, ऊर्जा मंत्री ने दिया ये जवाब

जयपुर विद्युत वितरण निगम में अनियमितताओं को लेकर गुरुवार को मामला विधानसभा में उठा. बता दें कि कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा ने इसको लेकर सदन में मामला उठाया. जिसके जवाब में बीडी कल्ला ने विधानसभा में बताया कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा कार्यों में अनियमितता बरतने पर आठ ठेकेदार फर्मों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनसे 36.80 लाख रुपये की शास्ति वसूली गई है.

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Published : Mar 12, 2020, 10:14 PM IST

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विद्युत वितरण निगम में अनियमितताओं को लेकर विधानसभा में उठा मामला

जयपुर. विधानसभा में गुरुवार को जयपुर विद्युत वितरण निगम में अनियमितताओं को लेकर मामला उठाया गया. बता दें कि कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा ने इसको लेकर सदन में मामला उठाया. वहीं ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने विधानसभा में बताया कि गत एक वर्ष में जांच के दौरान एवं शिकायत प्राप्त होने पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों के माइनर इंक्वायरी के 227 और मेजर इंक्वायरी के 94 प्रकरणों में से 19-19 प्रकरणों में शास्ति लगाई गई है.

विद्युत वितरण निगम में अनियमितताओं को लेकर विधानसभा में उठा मामला

मंत्री बीडी कल्ला ने बताया कि गत एक वर्ष के दौरान कार्यों में अनियमितता बरतने पर मैसर्स आरके इलेक्टि्रकल्स से 9.77 लाख, मैसर्स आरसी एंटरप्राइजेज से 11.17 लाख, मैसर्स विकास एंटरप्राइजेज से 5.60 लाख, मैसर्स विकास इंजीनियरिंग कम्पनी से 1.55 लाख, मैसर्स आर्यन इलेक्टि्रकल्स से 4.20 लाख, मैसर्स चौधरी इलेक्टि्रकल्स से 2.30 लाख, मैसर्स जगदीशपुरी कांट्रेक्टर से 1.51 लाख तथा मैसर्स राधा इलेक्टि्रकल्स से 0.75 लाख रुपये की शास्ति वसूली गई है. उन्होंने बताया कि गत एक वर्ष में जांच के दौरान एवं शिकायत के प्रकरणों में अनियमितता पाए जाने पर 227 अधिकरियों के विरुद्ध माइनर इंक्वायरी और 94 के खिलाफ मेजर इंक्वायरी सीसीए नियमों के तहत की गई. इनमें से 38 प्रकरणों में दोषी पाए जाने पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ शास्ति लगाई गई है.

इसके अलावा इस अवधि में तकनीकी अंकेक्षण में अनियमितता पाए जाने पर 18 प्रकरणों में 68 अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ की गई है. उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि यदि ट्रांसफार्मर, तार या प्रोक्योरमेंट के किसी भी सामान से सम्बंधी अनियमितता का कोई विशिष्ट प्रकरण सरकार के ध्यान में लाया जाता है तो उसकी एसीबी से जांच कराई जाएगी.

दरअसल, विधायक रामनारायण मीणा के मूल प्रश्न के लिखित उत्तर में ऊर्जा मंत्री ने बताया कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का वार्षिक घाटा वर्ष 2015-16 में 4462.91 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2018-19 में घटकर 3257.55 करोड़ रुपये रहा है. उन्होंने बताया कि उदय योजना का ब्याज चढ़ने के कारण घाटा बढ़ा है. साथ ही बिजली की खरीद जो पहले 4.04 रुपये में होती थी, अब 4.54 रुपये में हो रही है. इसके कारण 1613 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक भार बढ़ गया है.

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मंत्री बीडी कल्ला ने बताया कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में किसी भी प्रकार की अनियमितताओं की शिकायत आने पर जांच की जाती है और इसमें अनियमितता पाये जाने पर नियमानुसार संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है. यह एक निरन्तर प्रक्रिया है. तकनीकी अंकेक्षण विंग द्वारा भी नियमित जांचे की जाती हैं और अनियमितता पाये जाने पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाईकी जाती है. ऊर्जा मंत्री ने बताया कि निगम के कार्यों के लिए प्रत्येक स्तर पर सभी अधिकारियों को समय-समय पर सभी निर्दिष्ट कार्यों को सम्पादित करने की जिम्मेदारी दी हुई है.

साथ ही तकनीकी छीजत लगातार कम करने के लिए विद्युत तंत्र में सुधार कार्य कराये जा रहे है और अधिकारियों को प्रत्येक स्तर पर उत्तरदायी बनाया गया है. तकनीकी अंकेक्षण विंग द्वारा की गई जांच में फील्ड अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे तकनीकी कार्यों में अनियमितता पाये जाने पर 68 दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ की गई है और आठ ठेकेदार फर्म के विरुद्ध भी कार्रवाी की गई है.

मंत्री कल्ला ने बताया कि राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शिता अधिनियम-2012 राजस्थान ट्रांसपेरेंसी एंड पब्लिक प्रोक्योरमेंट एक्ट के प्रावधानों के अनुसार निगम द्वारा सप्लायर से सामान की खरीद ई-प्रोक्योरमेंट से की जाती है. सप्लाई किए गए सामानों की भी जांच, मैन्युफैक्चरर के वक्र पर सप्लाई से पूर्व और सामान की डिलीवरी के बाद सेन्ट्रल टेस्टिंग लैब द्वारा की जाती है. टेस्टिंग लैब द्वारा स्वीकृत सामानों को फील्ड में लगाया जाता है और अस्वीकृत को फर्म को वापस भेज दिया जाता है. जब भी इस बारे में कोई शिकायत प्राप्त होती है तो उस शिकायत की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाती है. यह एक सतत प्रक्रिया है.

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ऊर्जा मंत्री ने बताया कि वितरण निगम द्वारा निविदा प्रक्रिया से कार्य के लिए कॉन्ट्रैक्टर्स का चयन किया जाता है. कॉन्ट्रैक्टर की ओर से लगाये जाने वाले लाइन मैटेरियल की सघन जांच मैन्यूफैक्चरर के वक्र्स पर डेडीकेटेड मटेरियल इंस्पैक्शन विंग के अधिकारियों द्वारा की जाती है. इसके बाद डिलीवर होने पर इस सामान की सेंट्रल टेस्टिंग लेबोरेटरी में जांच की जाती है. इसके बाद स्पेसिफिकेशन के अनुरूप पाये जाने पर ही लाइन मैटेरियल को फील्ड में स्थापित किया जाता है, जो सामान उपयुक्त नहीं होता है, उसे नियमानुसार वापस करने की कार्रवाई की जाती है.

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