जयपुर.जयपुर नगर निगम ग्रेटर की मतगणना के दौरान मतगणना स्थल पर भाजपा से जुड़े नेताओं ने जमकर विरोध किया है. हालांकि वहां तैनात निर्वाचन अधिकारी और पुलिस के अधिकारियों ने समझाइश कर उन्हें शांत कराया.
मतगणना स्थल पर बीजेपी नेताओं का विरोध दरअसल मतगणना कक्ष में बीजेपी चुनाव एजेंट के लिए हर कक्ष में 4 एजेंटों के पास बनाए गए थे, लेकिन वहां मौजूद अधिकारियों ने 2 को ही प्रवेश दिया. वहीं हर मतगणना कक्ष में 10 टेबल लगी हुई थी. सभी टेबल पर वोटिंग मशीन एक साथ खोली जा रही है, लेकिन प्रवेश केवल दो ही एजेंटों को दिया गया जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया.
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विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि मतगणना कक्ष में 4 लोगों को जाने की परमीशन थी, लेकिन केवल 2 लोगों को ही जाने दिया जा रहा है. एक एजेंट और एक व्यक्ति जो चुनाव लड़ रहा है. कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि दो लोग एक साथ सारे टेबल पर कैसे जाएंगे. वहीं, कार्यकर्ताओं ने इसकी शिकायत भी अधिकारियों से की है.
बीजेपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि मतगणना कक्ष में जितने लोगों को जाने की परमिशन है उतनी टेबल लगानी चाहिए. साथ ही कहा कि ऐसा एक दो नहीं सारे वार्डों में हो रहा है. विरोध कर रहें कार्यकर्ताओं की मांग है कि जितने कैंडिडेट मतगणना कक्ष में जा सकते हैं उतनी ही टेबल लगनी चाहिए.
नगर निगम चुनाव के नतीजे पर रहेगी पार्टियों की निगाहें, जीतने वाले पार्षदों की हो सकती है बाड़ेबंदी
जयपुर. राजस्थान में 6 नगर निगम में किसके सर पर जीत का सेहरा बंधता है और सर पर हार का ठीकरा फूटता है, यह दोपहर 2 से 3 तक सामने आ जाएगा. बात कांग्रेस की हो तो नगर निगम जोधपुर जयपुर और कोटा के सभी 6 नगर निगम के नतीजे आने जा रहे हैं. इन 6 नगर निगम में सीधे तौर पर जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कोटा से मंत्री शांति धारीवाल तो जयपुर से मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास मंत्री, लालचंद कटारिया मुख्य सचेतक महेश जोशी की साख दांव पर होगी.
चौकी लोकसभा चुनाव में इन सभी मंत्रियों के खिलाफ जनता ने मतदान किया था. ऐसे में इन चुनावों में यह साफ हो जाएगा कि जनता भले ही राष्ट्रीय चुनाव में इन नेताओं के खिलाफ गई थी, लेकिन राजस्थान के चुनाव में अभी वह इनके साथ है. इसके साथ ही आज आने वाले मतदान के नतीजे एक मायने में और रोचक होने वाले हैं. कांग्रेस के जो प्रत्याशी आज इन चुनाव में जीतेंगे, उनकी बाड़ेबंदी की जा सकती है. वहीं हारने वाले अपने घर जाएंगे, क्योंकि भाजपा ने पहले ही अपने प्रत्याशियों को बाड़ेबंदी में भेज दिया है.
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अगर संख्या बल कांग्रेस के पक्ष में नहीं आता है और कुछ विजयी प्रत्याशियों की कमी रहती है तो फिर कांग्रेस के प्रत्याशियों की भी बाड़ाबंदी की जाएगी. खास तौर पर पूरा बहुमत नहीं आने पर हर किसी की नजर उन निर्दलीय पार्षदों पर होगी, जो बोर्ड बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगे. हालांकि इन चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस संगठन का कोई खास योगदान नहीं रहा है, लेकिन फिर भी अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा का पहला चुनाव परिणाम आएगा. ऐसे में यह परिणाम गोविंद सिंह डोटासरा के लिए भी काफी मायने रखेंगे.