जयपुर. राजस्थान में रियल एस्टेट सहित निर्माण क्षेत्र को बड़ी राहत मिली है. प्रदेश में 60 खनन क्षेत्रों में बजरी खनन के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति जारी हो गई है. एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बजरी की समस्या से आम नागरिकों को राहत दिलाने के लिए (Big relief to real estate in Rajasthan) निरंतर समाधान खोजने के निर्देश दिए जाते रहे हैं, जिसका परिणाम है कि लंबे समय से चली आ रही प्रदेश में वैध बजरी खनन की समस्या और अवैद्य बजरी खनन के कारण आए दिन आ रही समस्याओं के समाधान संभव हो सका है.
उन्होंने बताया कि पिछली 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश जारी होने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत की पहल पर राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर खनिज पट्टों के लिए जारी मंशा पत्रों की वैधता को 13 माह के स्थान पर 68 माह कर दिया है. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार द्वारा जालोर में दो व भीलवाड़ा में एक बजरी खनन पट्टे और उसके बाद 4 दिसंबर को देवली, राजसमंद, नाथद्वारा में बजरी मंशा पत्रों की वैधता की राह प्रशस्त होने से तीन लीज कुल छह बजरी खनन की लीज जारी हो सकी है.
डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया कि बजरी से संबंधित सभी प्रकरणों की मॉनिटरिंग व समन्वय के लिए अतिरिक्त निदेशक बीएस सोढ़ा को प्रभारी बनाया हुआ है. वहीं, खान व गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने केन्द्र सरकार से पर्यावरणीय अनुमति मिलने पर (Union Environment Ministry on Rajasthan Mining) प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि आमलोगों को आसानी से और वैध तरीके से बजरी प्राप्त हो सके. इसके लिए विभाग द्वारा किए गए ठोस प्रयासों का ही परिणाम है कि सुप्रीम कोर्ट से निर्देश प्राप्त हुए और अब निर्देशों के क्रम में राज्य सरकार के प्रयासों से 60 खनन क्षेत्रों की पर्यावरण अनुमति जारी हो गई है.