जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के एक जज की कोर्ट का बॉयकाट करने और न्यायिक बहिष्कार करने के अवमानना मामले में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर के अध्यक्ष और महासचिव की पूरी कार्यकारिणी ने सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांग ली है. एसोसिएशन ने आश्वस्त किया कि वे भविष्य में हड़ताल नहीं करेंगे. वहीं यदि कोई समस्या होगी तो उसके लिए भी सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशानुसार विधिपूर्वक कार्रवाई की जाएगी.
एसोसिएशन की ओर से शपथ पत्र और बार के प्रस्ताव को भी अदालत में पेश किया गया. इसमें सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करने और सीजे पर रोस्टर में बदलाव नहीं करने की भी बात कही गई. जिस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह व संजीव खन्ना की खंडपीठ ने बार एसोसिएशन को राहत देते हुए कार्यकारिणी के खिलाफ लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में अवमानना की कार्रवाई को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बार और बेंच एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों के बीच सामंजस्य का होना जरूरी है.
पढ़ें.Rajasthan HighCourt order रीट लेवल-1 से बीएडधारी होंगे बाहर, फैसला सुनकर धरने पर बैठे BSTC अभ्यर्थी झूम उठे
सदैव बेंच सही हो और बार गलत हो, ऐसा होना भी जरूरी नहीं है. खंडपीठ ने कहा कि एसोसिएशन भी सही हो सकती है, लेकिन उसके विरोध का तरीका गलत था. वकील विधिपूर्वक अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं और इस संबंध में उन्हें सीजे के समक्ष प्रतिवेदन भी देना चाहिए. वहीं अदालत ने मामले में मध्यस्थता के लिए बीसीआई के चेयरमैन मनन मिश्रा से भी चर्चा करते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के खिलाफ अवमानना के मामलेे को रद्द कर दिया.
बार व बेंच के बीच विवाद निपटारे के लिए हर हाईकोर्ट में बनेगी कमेटी-
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाईकोर्ट में बार व बेंच के बीच होने वाले विवादों के निपटारे के लिए हर हाईकोर्ट मेंं एक ग्रीवांस रिड्रेसल कमेटी गठित करने के संकेत दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमेटी में सीजे, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित अन्य सदस्य होंगे. इस कमेटी में विवाद का निपटारा नहीं होने पर वकील विधिपूर्वक विरोध दर्ज करा सकते हैं.
पढ़ें.NEET Counselling : चार हफ्तों के लिए स्थगित, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी
यह है मामला-
सुप्रीम कोर्ट ने गत सितंबर माह में जयपुर हाईकोर्ट के वकीलों द्वारा एक जज की कोर्ट का न्यायिक बहिष्कार करने और एक दिन की हड़ताल करने के मुद्दे पर अवमानना का स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था. इसके साथ ही हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी के पदाधिकारियों व सदस्यों को अवमानना नोटिस जारी कर उन्हें तलब किया था. मामले में 17 नवंबर को सुनवाई के दौरान बार पदाधिकारियों ने मामले में माफी मांगने से इंकार करते कहा कि उन्होंने न्यायिक कार्य का बहिष्कार नहीं किया है. जबकि रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट में न्यायिक कार्य का बहिष्कार करने की बात कही थी। इस पर अदालत नाराज हो गई और बार के अध्यक्ष व महासचिव सहित पदाधिकारियों व सदस्यों को व्यक्तिगत शपथ पत्र पेश कर हाजिर होने का निर्देश दिया था.