बीकानेर.भारत और अमेरिकी सेनाओं के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास का 16वां संस्करण सोमवार को बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में शुरू हुआ. सोमवार को युद्धाभ्यास के पहले दिन दोनों देशों के सैनिकों के बीच आपसी परिचय स्वागत और मार्च पास्ट सलामी के साथ ही एक-दूसरे के सैन्य कौशल के परिचय के रूप में बीता. दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज फहराए गए और राष्ट्रीय गान 'जन मन गन' और 'स्टार सपैन्गलड बैनरट दोनों देशों के सैनिको ने गाए.
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170 इन्फैंट्री ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर मुकेश भानवाला ने अमेरिकी दल का स्वागत किया. उन्होंने अभ्यास के सैन्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए श्रेष्टतम सामंजस्य और अंतर संचालन को प्राप्त करने के लिए दोनों सैनिक दलों से अनुरोध किया. उन्होंने विचारों, अवधारणाओं के निशुल्क आदान-प्रदान के महत्व पर बल दिया. साथ ही सैनिकों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं और एक-दूसरे के परिचालन अनुभवों से सीखने की आवश्यकता के साथ-साथ स्थितिजन्य जागरूकता पर बल दिया.
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इस युद्धाभ्यास के दौरान कई एरियल प्लेटफॉर्म जिसमें भारतीय सेना में हाल ही में शामिल हुए नए स्वदेशी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर डब्ल्यूएसआई 'रुद्र', एमआई-17, चिनूक,अमेरिकी सेना के स्ट्राइकर वाहन और भारतीय सेना के बीएमपी-II मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल का भी उपयोग किया जाएगा. यह युद्ध अभ्यास दोनों देशों को सफल उग्रवाद विरोधी अभियान के संचालन एवं संयुक्त सैन्य कार्रवाई की उनकी क्षमता वृद्धि में सहायक सिद्ध होगा. आतंकवाद विरोधी अभियानों के अलावा, मानवीय सहायता और आपदा राहत में अनुभवों का आदान-प्रदान भी अभ्यास का एक हिस्सा होगा.
सेना के पीआरओ और लेफ्टिनेंट कर्नल अमिताभ शर्मा ने बताया कि अमेरिकी सेना में एक ब्रिगेड मुख्यालय तथा 2 बटालियन, 3 इन्फैंट्री रेजिमेंट, 1-2 स्ट्राइकर ब्रिगेड कॉम्बैट टीम के 270 सैनिकों का समूह शामिल है. यह 14 दिवसीय द्विपक्षीय युद्धाभ्यास रेगिस्तानी इलाके की पृष्ठभूमि में काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन पर केंद्रित रहेगा. मेजर एएस अरोड़ा ने बताया कि हम दोनों सेनाओं के बीच आपसी संवाद और रेगिस्तानी इलाके में काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन को लेकर यह युद्धाभ्यास काफी महत्वपूर्ण साबित होगा और दुनिया की दो महत्वपूर्ण सैन्य शक्तियों के इस तरह की आपस में युद्ध अभ्यास से दोनों सेनाओं के सैनिकों के साथ ही दोनों सेनाओं के युद्ध कौशल और हथियारों के साथ ही रणनीतिक कौशल का भी आदान-प्रदान जानकारी के रूप में होगा. जिससे दोनों सेनाओं और सैनिकों को फायदा मिलेगा.