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बीकानेर मेयर ने लिखा सीएम को पत्र, जनप्रतिनिधियों के अधिकारों के हनन का लगाया आरोप - सीएम को पत्र

बीकानेर नगर निगम में महापौर और आयुक्त के बीच अधिकारों की लड़ाई को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसी बीच महापौर सुशीला कंवर ने मुख्यमंत्री और यूडीएच मंत्री को डीएलबी निदेशक के खिलाफ एक पत्र लिखा है.

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बीकानेर मेयर ने लिखा सीएम को पत्र

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Published : Jun 24, 2020, 11:21 AM IST

बीकानेर.बीकानेर नगर निगम में भाजपा का बोर्ड है और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में नगर निगम में लगातार विवाद सामने आ रहे हैं. पिछले कई दिनों से नगर निगम महापौर और आयुक्त के बीच चल रहे अधिकारों की लड़ाई को लेकर विवाद के बीच नगर निगम की महापौर सुशील कंवर राजपुरोहित ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को डीएलबी निदेशक के खिलाफ एक पत्र लिखा है.

बीकानेर मेयर ने लिखा सीएम को पत्र

इस पत्र में पिछले दिनों डीएलबी निदेशक की ओर से जारी किए गए आदेशों को गलत बताते हुए इसे जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन बताया है. मुख्यमंत्री और यूडीएच मंत्री को लिखे पत्र में महापौर ने कहा कि महात्मा गांधी के सिद्धांत और जनप्रतिनिधित्व कानून के खिलाफ जाकर डीएलबी निदेशक ने पूरे राजस्थान में स्थानीय निकाय में महापौर और चेयरमैन के अधिकारों में कटौती करने की बात कही है, जो गलत है.

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दरअसल पिछले दिनों डीएलबी निदेशक की ओर से पिछले दिनों एक परिपत्र जारी किया गया है, जिसमें स्थानीय निकायों के प्रमुखों को कोई पत्रावली मांगने पर नहीं देने और पत्रावली की जगह फोटो प्रति देने के साथ ही निकाय प्रमुख की ओर से किसी पत्रावली को रोकने के मामले में आयुक्त की ओर से डीएलबी को उसकी शिकायत करने की छूट देने की बात कही गई है.

महापौर ने लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि जनप्रतिनिधि निर्वाचित होकर जनता की सेवा के लिए निकायों में आया है, लेकिन अफसरशाही अपने स्तर पर जनप्रतिनिधित्व कानून की अवहेलना कर रही है. ऐसे में डीएलबी निदेशक की ओर से लिखे गए पत्र को वापस लिया जाए.

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पत्र में पिछले दिनों खान और गोपालन विभाग के मंत्री की ओर से खान विभाग के निदेशक के खनन पट्टों के आवेदन को स्वीकृत और अस्वीकृत करने के आदेशों को सीज करने का हवाला भी दिया गया है. इसमें विभाग का सर्वोच्च मंत्री को बताते हुए निदेशक के अधिकार कम करने की बात कही गई है. वहीं दूसरी ओर डीएलबी की ओर से जारी पत्र में अफसरशाही को सर्वोच्च बताते हुए जनप्रतिनिधियों को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया है.

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