बांसवाड़ा.दक्षिणी राजस्थान में बांसवाड़ा स्थित माता त्रिपुरा सुंदरी की ख्याति धीरे-धीरे सत्ता की देवी के रूप में फैलती जा रही है. वागड़ क्षेत्र में तरतई अर्थात तुरंत फल देने वाली माता के नाम से जानी जाने वाली यह माता राजस्थान ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी राजनेताओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुकी है.
माता के दरबार में मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री और राज्यपाल से राष्ट्रपति तक अपना शीश नवा चुके हैं. इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अलावा कई मुख्यमंत्री, मंत्री और न्यायधीश भी शामिल है. राजस्थान की तीन बार कमान संभालने वाले जिले के हरिदेव जोशी माता के अनन्य भक्त रहे. बता दें कि माता त्रिपुरा सुंदरी की ख्याति इतनी बढ़ने लगी जो 2004 में वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के साथ ही प्रदेश की सीमाएं लांग गई. बांसवाड़ा से करीब 16 किलोमीटर दूर माता त्रिपुरा सुंदरी को राजराजेश्वरी भी कहा जाने लगा है.
मां की मूर्ति की सबसे बड़ी विशेषता यह मानी जाती है कि श्रद्धा भाव से देखने पर यह प्रात काल में कुमारिका, मध्याह्न में सुंदरी और संध्या काल में वृद्धा के रूप में दर्शन देती है. हालांकि मंदिर निर्माण के काल का ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है किंतु विक्रम संवत 1540 का एक शिलालेख मिला है जिसके आधार पर अनुमान है कि यह मंदिर सम्राट कनिष्क के काल से पहले का है.
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शिलालेख के अनुसार यहां आस-पास गढ़ पोली नामक महानगर था. इसके अधीन सीतापुरी शिवपुरी और विष्णुपुरी नाम के तीन दुर्ग थे. शिलालेख में त्रिउरारी शब्द का उल्लेख है. संभवत इसी आधार पर 3 दुर्गों के बीच देवी मां का मंदिर होने से इसे त्रिपुरा कहा जाने लगा है. रियासत काल में भी बांसवाड़ा डूंगरपुर गुजरात मालवा के अलावा मारवाड़ के राजा महाराजा भी मां के उपासक रहे हैं.
मां त्रिपुरा की मूर्ति की महिमा
सैकड़ों वर्षों से प्राण प्रतिष्ठित सिंह वाहिनी मां भगवती त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति अष्टादश भुजा वाली है. 5 फीट ऊंची इस विशाल मूर्ति में मां के अष्टादश भुजाओं में विभिन्न आयुध है. पास में नवदुर्गा की प्रति कृतियां अंकित है. मां के पावन चरणों में सर्वार्थ सिद्धि दायक श्री यंत्र प्रतिष्ठित है. वहीं देवी मां दिन में तीन रूप में दर्शन देने के कारण भी त्रिपुरा सुंदरी के नाम से जानी जाती है.
मूर्ति भंजक नहीं लगा पाए हाथ
प्राचीन खंडों के आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि मुस्लिम शासक और मूर्ति भंजक महमूद गजनवी अलाउद्दीन खिलजी ने इस क्षेत्र के मंदिरों को नष्ट किया था. लेकिन भक्तों ने मां की मूर्ति को उनके आक्रमण से बचा लिया था. बता दें कि निकट ही स्थित तलवाड़ा में कई मंदिर मूर्ति भंजक शासकों के शिकार हुए थे. इसे माता का चमत्कार ही माना जा सकता है कि क्षेत्र के सैकड़ों मंदिर खंडित कर दिए गए परंतु मां त्रिपुरा सुंदरी की प्रतिमा तक मूर्ति भंजक नहीं पहुंच पाए थे.
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दर्शन के बाद सीकर में प्रवेश करते थे पूर्व मुख्यमंत्री जोशी