भरतपुर. पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग चर्चा का विषय बना हुआ है. राज्य और केंद्र सरकारों की ओर से पर्यावरण सुरक्षा, पौधारोपण और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता के लिए तमाम अभियान चलाए जाते हैं. इतना ही नहीं केंद्र और राज्य की सरकारें हर वर्ष पौधारोपण के लिए करोड़ों रुपए खर्च भी करती हैं. लेकिन दूसरा पक्ष यह है कि आज भी विकास के नाम पर हर वर्ष लाखों पेड़ों की कटाई की जा रही (Tree Felling in Rajasthan) है.
पिछले 1 साल की बात करें तो राजस्थान में विकास के नाम पर जहां 8619 पेड़ों को काटा गया, वहीं पूरे देश भर में 30 लाख से अधिक पेड़ों पर कुल्हाड़ी चली. हालांकि सरकारों का तर्क है कि वो नियमानुसार विकास कार्यों के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति देती हैं. तो उससे कई गुना ज्यादा पौधारोपण भी करवाया जाता है. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि वर्षों पुराने विशाल पेड़ों को तो 1 दिन में काट दिया जाता है, लेकिन जो पौधे लगाए जाते हैं उनमें से नाम मात्र के पौधे ही जीवित रह पाते हैं.
एक साल में 30 लाख 97 पेड़ काटे:पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से वर्ष 2020 -21 में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए पूरे देश भर में वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के तहत 30 लाख 97 हजार 721 पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की. इसके तहत इस अवधि में देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में 16 लाख 40 हजार 532 पेड़ काटे गए. इसी तरह उत्तर प्रदेश में 3,11,998, उड़ीसा में 2,23,375, तेलंगाना में 1,53,720, महाराष्ट्र 1,45,294 और झारखंड 1,04750 पेड़ काटे गए. इसी तरह राजस्थान में भी 8619 पेड़ काटे गए.