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स्पेशल रिपोर्टः मरीजों की लापरवाही से भरतपुर में भामाशाह स्वास्थय बीमा योजना के 22 हजार 289 क्लेम रिजेक्ट - Bhamashah Health Insurance Scheme

राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में गरीब मरीजों के निशुल्क उपचार के लिए भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना चलाई जा रही है. लेकिन मरीजों में जागरूकता के अभाव और लापरवाही के चलते इस वर्ष अब तक जिले में सरकारी व निजी अस्पतालों में 22 हजार 289 मरीजों के क्लेम रिजेक्ट हो गए हैं.

भरतपुर भामाशाह स्वास्थय बीमा योजना, 22 हजार 289 क्लेम रिजेक्ट

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Published : Oct 30, 2019, 3:55 AM IST

Updated : Oct 30, 2019, 4:59 AM IST

भरतपुर. राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में गरीब मरीजों के निशुल्क उपचार के लिए भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना चलाई जा रही है. लेकिन मरीजों में जागरूकता के अभाव और लापरवाही के चलते इस वर्ष अब तक जिले में सरकारी व निजी अस्पतालों में 22 हजार 289 मरीजों के क्लेम रिजेक्ट हो गए हैं.

भामाशाह स्वास्थय बीमा योजना के 22 हजार 289 क्लेम रिजेक्ट

चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की माने तो मरीजों की ओर से समय पर सभी जरूरी कागजात जमा नहीं कराए जाते और कई मरीज अस्पताल से बिना सूचना के छुट्टी करा ले जाते हैं. ऐसे में बीमा कंपनी की ओर से बीएसबीवाई के तहत मिलने वाले करोड़ों रुपए के क्लेम को रिजेक्ट कर दिया गया है.

सर्वाधिक केस आरबीएम जिला अस्पताल के रिजल्ट

भरतपुर जिले में सरकारी अस्पतालों के भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के 13 हजार 805 और निजी अस्पतालों के 8 हजार 484 केस रिजेक्ट कर दिए गए हैं. सरकारी अस्पतालों में सर्वाधिक केस आरबीएम जिला अस्पताल के 5 हजार 886 केस, बयाना सीएचसी के 2 हजार 391, रूपवास सीएचसी के 980, नदबई के 951 और भुसावर सीएचसी के 910 केस रिजेक्ट हुए हैं.

2079 केस की चल रही जांच

विभागीय आंकड़ों की मानें तो रिजेक्ट केस के अलावा 2 हजार केस ऐसे हैं, जिनकी बीमा कंपनी की ओर से जांच पड़ताल की जा रही है. इनमें सरकारी अस्पताल के 1 हजार 499 केस और निजी अस्पतालों के 680 केसों की जांच हो रही है. बीएसबीवाई योजना के तहत उपचार कराने वाले यह उन मरीजों के केस हैं जिन्होंने या तो कागजात पूरे नहीं कराए या फिर उनके कागजातों में कोई कमी रह गई है. ऐसे में क्लेम जारी करने से पहले कंपनी की ओर से इन केसों की जांच की जा रही है.

सरकार को नुकसान, निजी अस्पताल संचालक परेशान

जानकारी के अनुसार सरकारी अस्पतालों में बीएसबीवाई योजना के तहत मरीजों को तो निशुल्क उपचार मिल रहा है, लेकिन केस रिजेक्ट होने की वजह से बीमा कंपनी सरकार को उपचार का क्लेम जारी नहीं कर रही. ऐसे में इसका सीधा-सीधा नुकसान सरकार को हो रहा है. वहीं, निजी अस्पताल संचालकों को भी रिजेक्ट केसों के लिए नुकसान उठाना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीबों को निशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों के परिजनों की ओर से अस्पतालों में या तो पूरे कागजात जमा नहीं कराए जाते या फिर समय से पहले अस्पताल से बिना बताए छुट्टी करा ले जाते हैं. ऐसे में इस तरह के केस बीमा कंपनी की ओर से रिजेक्ट कर दिए जाते हैं जिसका सीधा-सीधा भार सरकार पर पड़ता है.

Last Updated : Oct 30, 2019, 4:59 AM IST

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