अजमेर. राजस्थान में लोक देवताओं को पूजा जाता है. मान्यता है कि बाबा रामदेव का जन्म राजस्थान की धरा पर हुआ. रामदेवरा के अलावा बाबा रामदेवजी का एक और स्थान अजमेर के खुंडियावास में भी है. कहा जाता है कि इस स्थान की मिट्टी खाने से रोग दूर हो जाते हैं.
अजमेर और नागौर की सीमा पर स्थित खुंडियावास में लोक देवता बाबा रामदेव मंदिर (Baba Ramdev Temple) है. माना जाता है कि जो श्रद्धालु रामदेवरा के दर्शन के लिए नहीं जा पाते वे खुंडियावास में बाबा रामदेव के दर्शन कर लें तो उन्हें उतना ही पुण्य मिलता है जितना रामदेवरा के दर्शन से प्राप्त होता है. बाबा रामदेवजी का मुख्य स्थान जैसलमेर में पोकरण के रामदेवरा (ramdevra) में है. रक्षाबंधन पर पूर्णिमा के दिन से अगली पूर्णिमा तक बाबा रामदेव का मेला हर साल भरता है.
बाबा रामदेवजी के भक्त राजस्थान के अलावा हरियाणा, पंजाब, गुजरात सहित कई राज्यों में हैं. देशभर से बड़ी संख्या में लोग बाबा रामदेव के दर्शन के लिए रामदेवरा आते हैं. कई श्रद्धालु ऐसे हैं जो रामदेवरा के साथ-साथ खुंडियावास रामदेव मंदिर में भी दर्शन करने आते हैं. खुंडियावास में बाबा रामदेवजी के मंदिर के पास ही एक भक्त भोजराज गुर्जर (Bhakt Bhojraj Gurjar) की भी समाधि है. रामदेवरा पैदल जाने वाले यात्री इसी मार्ग से होकर जाते थे.
भक्त भोजराज की कहानी
कहा जाता है कि बूंदी जिले के लाखेरी तहसील में देवपुरा गांव में भोजराज गुर्जर नाम का एक व्यक्ति था. यह बाबा रामदेव का भक्त था और हर साल रामदेवरा की पदयात्रा करता था. भोजराज हर साल बाबा रामदेव के सालाना मेले में दंडवत करते हुए बूंदी से रामदेवरा जाता था. 24 वर्षों तक भोजराज हर साल इसी तरह पदयात्रा करता. 1986 में भक्त भोजराज दंडवत करते हुए रामदेवरा जा रहा था. कहा जाता है कि खुंडियावास में बाबा रामदेव ने अपने भक्त भोजराज को दर्शन दिये और कहा कि अब से रामदेवरा आने की जरूरत नहीं है, मैं खुद यहां आ गया हूं.
भोजराज गुर्जर ने उसी स्थान पर ध्वजा लगा दी. तब से भोजराज वहीं रहने लगा. उसने बाबा रामदेव के भक्तों के सहयोग से खुंडियावास में बाबा रामदेव का भव्य मंदिर बनवाया. मंदिर के सामने अपना आश्रम बनाया. खुंडियावास मंदिर में दर्शन करने वालों के लिये भोजराज भोजन का प्रबंध आश्रम में करता. धीरे-धीरे इस स्थान के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती गई. कहा जाता है कि भक्तों को यहां कई चमत्कार भी दिखे, श्रद्धालुओं के दुख-दर्द दूर होने लगे. भक्तों का आवागमन बढ़ा तो खुंडियास में बाबा रामदेव का वार्षिक मेला भरने लगा.