पुष्कर (अजमेर). धार्मिक नगरी के रूप में पुष्कर की पहचान विश्व पटल पर है. विश्व का इकलौता ब्रह्मा का मंदिर यहीं पर है. यहां के रेतीले धोरे, लोक संस्कृति, पवित्र सरोवर के अलावा चारों और हरियाली की चादर ओढ़े पहाड़ देखकर ही मन सुखद अनुभव करता है. गली गली में स्थित छोटे-बड़े मंदिर, संतों के आश्रम और तपो भूमि की विरासत इस पवित्र पुष्कर की पहचान है.
पुष्कर के धार्मिक महत्व की वजह से सदियों से तीर्थ यात्री आते रहे है और पुष्कर की आध्यात्मिक सुंगन्ध को अपने जहन में सजो कर ले जाते है. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार पुष्कर तीर्थो का गुरु माना गया है. पुष्कर के तीर्थ पुरोहित नवनीत शर्मा बताते हैं कि तपो भूमि और विश्व में जगतपिता के एक मात्र स्थान पुष्कर की पवित्रता से देवी देवता भी आकर्षित होते है.
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पुष्कर को लेकर विदेशी पर्यटकों में भी दीवानगी
पुष्कर के प्रति देशी पर्यटक ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों की भी दीवानगी भी साफ देखी जा सकती है. इसी का एक उदाहरण इटली मूल की पर्यटक मारा सान्द्री है. जो पिछले 35 वर्षों से लगातार पुष्कर आ रही है. मारा बताती है कि 35 वर्षों में भले ही पुष्कर में परिवर्तन देखने को मिले है पर उनका लगाव आज भी पुष्कर से आज भी पहले जैसा ही है. वहीं विदेशी पर्यटकों की आवक में सबसे अधिक संख्या में इजरायली मूल के पर्यटकों की है. इजरायली पर्यटकों की बीच लोकप्रियता चलते पुष्कर को "लिटिल तलविव" के नाम से भी पुकारा जाने लगा है. इजरायल मूल की पर्यटक आदि बताती है कि वो 22 साल की उम्र से पुष्कर आ रही है और पुष्कर उनके के लिये एक विशेष स्थान रखता है.
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