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रियलिटी चेक: अजमेर में बिना गाइडलाइन के धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ती स्कूल बसें...आरटीओ ने की कार्रवाई

अभिभावक अपने बच्चों को स्कूली बस में छोड़ने के बाद निश्चित हो जाते हैं कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं. लेकिन क्या कभी उन्होंने सोचा कि जिस बस में उनके नौनिहाल हर रोज सफर कर रहे हैं वह सुरक्षित भी है या नहीं. इन सभी चीजों को ध्यान रखते हुए ईटीवी भारत ने प्रदेशभर में स्कूल बसों की हकीकत जानने के लिए रियलिटी चेक चलाया है. जिसके तहत हमारी टीम ने अजमेर की स्कूल बसों को हकीकत को परिवहन विभाग के सामने रखा.

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Published : Aug 30, 2019, 4:05 PM IST

अजमेर.बच्चे परिवार की खुशियों की चाबी होती है. इन बच्चों से घर महक उठता है. लेकिन आए दिन स्कूल बसों के हादसों की खबरें सामने आती है. तो परिवार की खुशियां पल भर में काफूर हो जाती है. इन सभी को ध्यान में रखते हुए ईटीवी भारत में विशेष अभियान के तहत इन स्कूल बसों की सुरक्षा संबंधी हकीकत की पड़ताल की. अजमेर में ज्यादातर स्कूल बसों में लापरवाही बरती जा रही है. वहीं ऐसी स्कूली बस के खिलाफ परिवहन विभाग से कार्रवाई भी करवाई गई.

बच्चों को ले जाने वाले वाहनो गाइडलाइन पर खरे नहीं
हर जिले की तरह अजमेर में भी प्राइवेट स्कूलों की भरमार है. वहीं ज्यादातर स्कूलों में बच्चों को लाने ले जाने की व्यवस्था स्कूल बस के माध्यम से कर रखी है. लेकिन जिन स्कूल बसों में बच्चे सफर कर रहे है. वो बसे सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन पर खरी नहीं उतर रही है. अजमेर में ज्यादातर स्कूल बसों के पास बाल वाहिनी का परमिट ही नहीं है. जिनके पास बाल वाहिनी के परमिट हैं वह भी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं. स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर नहीं है. फायर एक्सटेंशन है. लेकिन उसकी एक्सपायर डेट निकल चुकी है. ईटीवी भारत ने अपने अभियान में परिवहन विभाग का सहयोग लिया.

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कई बसों को स्कूल में ही खड़े रहने की हिदायत
स्कूल की छुट्टी होने के बाद अजमेर शहर की सड़कों पर दौड़ रही स्कूली बसों का जायजा लिया. इन स्कूल बसों में स्कूल का नाम और संपर्क नंबर है. लेकिन विंडो में ग्रील नहीं लगी हुई है. जिन बसों में ग्रिल नहीं लगी हुई है. ऐसी बसें ज्यादातर वातानुकूलित है. जांच में सामने आया कि वातानुकूलित बस में कांच नहीं खुलते. लेकिन हादसा होने पर यह तर्क भी व्यर्थ हो जाता है. लिहाजा परिवहन विभाग ने ऐसी स्कूल बसों के चालान काटकर उनके खिलाफ कार्रवाई की और इतना ही नहीं जब तक वातानुकूलित बसों के विंडो पर ग्रिल नहीं लग जाती. तब तक बसों को स्कूल में ही खड़े रहने की हिदायत दी.

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एक स्कूल बस चालक का तो लाइसेंस की अवधि ही 5 साल पहले खत्म हो चुकी थी. वही दूसरी बस के पास बाल वाहिनी का परमिट ही नहीं था. शहर की सड़कों पर दौड़ रही स्कूल बसें सुरक्षा से संबंधित गाइडलाइन का अनुसरण नहीं करती पाई गई है. ईटीवी भारत के अभियान और परिवहन विभाग की जांच के बाद अधिकारी मान रहे हैं कि स्कूल बस में सुरक्षा मानकों को लेकर लापरवाही बरती जा रही है. परिवहन विभाग के सब इंस्पेक्टर नीरज ने बताया कि स्कूली बसों की नियमित जांच विभाग करेगा. साथ ही लापरवाही बरतने वाले स्कूल बसों के मालिकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. सब इंस्पेक्टर नीरज ने ईटीवी भारत के अभियान की सराहना करते हुए बताया कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर विभाग सचेत है.

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ईटीवी भारत के अभियान से परिवहन विभाग लापरवाही बरत रहे स्कूल बसों के प्रति पहले से ज्यादा गंभीर हुआ है. वहीं उम्मीद की जा रही है कि अभिभावक भी अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर सचेत हो. इसके लिए एक नजर आवश्यक गाइड लाइन पर भी डाल लें.

  • स्कूल बस में फर्स्ट ऐड बॉक्स का होना अनिवार्य है.
  • स्कूल बस पर स्कूल का नाम पता और उसका फोन नंबर भी लिखा होना जरूरी है.
  • बस में स्पीड गवर्नर लगा होना चाहिए, ताकि स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा ना हो.
  • बस के दरवाजे ठीक से बंद होते हैं तो चलती बस के गेट लॉक होने चाहिए.
  • बस की खिड़की पर ग्रिल होना जरूरी है. आग बुझाने के उपकरण भी बस में होने चाहिए.
  • बस का रंग पीला होना चाहिए, बस के आगे और पीछे स्कूल बस लिखा होना चाहिए.

बता दें कि स्कूल बस में यदि सुरक्षा से संबंधी आवश्यक इन नियमों का यदि उल्लंघन किया जा रहा है, तो स्कूल प्रशासन से अभिभावक शिकायत कर सकते हैं. यदि स्कूल प्रशासन भी शिकायत के बाद गाइडलाइन को अनुसरण नहीं कर रहा है तो जिला परिवहन विभाग या यातायात पुलिस और जिला प्रशासन को भी शिकायत की जा सकती है.

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