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SC on Vaccination : बेशकीमती जिंदगियां लगी हैं दांव पर, अब जगी उम्मीद : CM गहलोत

वैक्सीनेशन नीति की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिए हैं. इस पर सीएम गहलोत ने कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र की वैक्सीनेशन नीति की वजह से बेशकीमती जिंदगियां दांव पर लगी हैं. अब कोर्ट के आदेश के बाद उम्मीद जगी है.

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वैक्सीनेशन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सीएम गहलोत ने किया स्वागत

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Published : Jun 3, 2021, 1:21 PM IST

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को वैक्सीनेशन नीति (vaccination policy) की समीक्षा के आदेश दिए हैं. कोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (cm gehlot) ने इसका स्वागत किया है. सीएम गहलोत ने कहा कि पूरा देश केंद्र सरकार की वैक्सीनेशन नीति को लेकर चिंतित है, क्योंकि बेशकीमती जिंदगियां दांव पर लगी हैं. अब कोर्ट ने लोगों के बचाव में आगे आया है. इससे एक उम्मीद जगी है.

सीएम गहलोत का ट्वीट...

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का स्वागत करता हूं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वैक्सीनेशन नीति की समीक्षा करने को कहा है. साथ ही 31 दिसम्बर 2021 तक वैक्सीन की प्रस्तावित उपलब्धता का रोड मैप रिकॉर्ड तैयार करने के आदेश दिए हैं. पूरा देश केंद्र सरकार की वैक्सीनेशन नीति को लेकर चिंतित है क्योंकि बेशकीमती जिंदगियां दांव पर लगी हैं. अब कोर्ट ने लोगों के बचाव में उतरकर कहा है कि 18 से 44 वर्ष की भुगतान आधारित केंद्र सरकार की नीति प्रथम दृष्टया मनमानी और तर्कहीन है. सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से वैक्सीनेशन नीति की समीक्षा करने को कहा है. वैक्सीन की शॉर्टेज और ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन की पहुंच को लेकर दिक्कतों के बारे में भी जानकारी चाही है.

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सीएम गहलोत ने कहा कि उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार अब विस्तृत पॉलिसी तैयार करेगी. साथ ही कोर्ट और जनता को आश्वस्त करेगी कि उनके पास आवश्यक संख्या में वैक्सीन खरीदने की योजना है. किस तरह देश की समस्त युवा जनसंख्या इस साल के अंत तक वैक्सीनेट की जाएगी?

दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार केंद्र सरकार पर इस बात को लेकर आरोप लगाते रहे हैं कि जब भी देश में किसी भी तरह का टीकाकरण अभियान चला है. वह केंद्र सरकार द्वारा चलाया गया है और उसका पूरा खर्चा भी केंद्र सरकार ही वहन की, लेकिन ऐसा पहली बार है जब देश में एक वर्ग को तो केंद्र सरकार ने फ्री टीका लगा दिया, जबकि दूसरे वर्ग को राज्य सरकारों के हाल पर छोड़ दिया. टीकाकरण का हमेशा एक प्रावधान रहा है कि केंद्र सरकार अपने खर्चे पर पूरे देश में एक साथ या अभियान चलाती है, लेकिन इस बार केंद्र सरकार की इस तरह की नीति ने कई लोगों की जान को खतरे में डाल दिया है.

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बता दें कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने देश में टीकाकरण ((vaccination) को लेकर सरकार से सभी जानकारियां मांगी हैं. कोरोना संबंधी मामलों को लेकर स्वप्रसंज्ञान ली गई है. सुनवाई में शीर्ष कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार आम बजट में टीकों की खरीद के लिए रखे गए 35 हजार करोड़ रुपए का पूरा हिसाब भी पेश करें. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस रविंद्र भट्ट की बेंच ने पूछा कि सरकार यह भी बताएं कि इस बजट का इस्तेमाल 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लोगों के फ्री टीकाकरण में क्यों नहीं किया जा सकता. केंद्र सरकार की ओर से अब तक खरीदी गई कोविशिल्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक का पूरा विवरण भी दे. मामले की अगली सुनवाई 30 जून को होगी.

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