बालोतरा (बाड़मेर).क्षेत्र में लूणी नदी अब लुप्त होने की कगार पर है. पाली और बालोतरा की रंगाई-छपाई इकाईयों से निकलने वाले रसायनिक पानी और कम वर्षा के चलते लूणी आज नदी की जगह रसायनिक पानी का नाला बन कर रह गई है. ये बात श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान अध्यक्ष और इंटेक चैप्टर जिला संयोजक रावल किशन सिंह जसोल ने तिलवाड़ा मेला मैदान स्थित मरु गंगा बचाने के कार्यक्रम मानव श्रृंखला जागरुकता संदेश के दौरान कही. उन्होंने कहा कि लूणी नदी के बेसिन पर स्थित रंगाई-छपाई फैक्ट्रियों से निकले प्रदूषित पानी की वजह से यह बर्बाद हो गई है.
यह भी पढ़ें-पासबुक प्रकरण पर बोले अल्पसंख्यक आयोग उपाध्यक्ष, कहा- इस मामले को ज्यादा तूल नहीं देना
उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे हमारी संस्कृतियों का जन्म हुआ है, लेकिन आज इसी लूणी के किनारे और आस-पास के सैकड़ों गांव जहां पीने के शुद्ध पानी को तरस रहे है. वहीं हजारों बीघा जमीन बंजर हो चुकी है. ऐसे में स्कूली बच्चों का यह मानव श्रृंखला बनाकर मरू गंगा को बचाने का संदेश यकीनन आने वाले दिनों में अच्छा परिणाम लाएगी. उन्होंने कहा कि कपड़ा उद्योग के शुरू होने से पहले तक लूणी नदी बालोतरा के लिए खुशहाली की प्रतीक थी, लेकिन पश्चिमी राजस्थान की जीवनदायिनी मरू गंगा यानी लूणी नदी आज संकट में अपने वजूद को बचाने की अंतिम लड़ाई लड़ रही है.