शहडोल। कोरोना का कहर भले ही इन दिनों थमा हुआ है, लेकिन दूसरी लहर की भयावहता शायद ही कोई भुला पाएगा, कोरोना का तांडव क्या होता है ये शहडोल ने भी देखा है, यहां के भी कई लोगों ने अपनों को खोया, कोरोना के दूसरी लहर में कई कमियां भी उजागर हुईं, कई लोगों की जान तो समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं न मिल पाने की वजह से गईं, इतना ही नहीं कोरोना के दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी और उसके लिए जूझते मरीजों के परिजनों को साफ देखा गया.
शहडोल मेडिकल कॉलेज में भी एक वक्त ऐसा आया था जब ऑक्सीजन की कमी से हाहाकार मच गया था, कई लोगों की जान भी गई थी, तो वहीं दूसरी ओर अब केंद्र सरकार का कहना है कि राज्यों से ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत की कोई सूचना नहीं मिली है. तो आप खुद सुनिए उन परिजनों की जुबानी, जिन्होंने ऑक्सीजन की कमी से अपनों को खोया.
जब शहडोल मेडिकल कॉलेज में मचा था हाहाकार
दरअसल, मेडिकल कॉलेज में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 17 अप्रैल को रात में ऑक्सीजन की कमी के चलते कई लोगों की जान गई थी, और शहडोल मेडिकल कॉलेज में हाहाकार मचा हुआ था. वो तस्वीरें आज भी लोगों के जहन में जिंदा हैं. बताया गया था कि सभी मरीज शहडोल मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती थे. लोगों के मुताबिक, ऑक्सीजन कम होते ही मरीज यहां तड़पने लगे थे. सुबह होते-होते एक-एक करके कुछ लोगों ने दम तोड़ दिया था, और वहीं अब जब कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता थोड़ी बहुत कम हुई है तो अब केंन्द्र सरकार का ये कहना कि राज्यों से ऑक्सीजन की कमी से मौत की कोई सूचना नहीं. इस बात ने मामले को और तूल दे दिया है.
बता दें कि, जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर धनपुरी के रहने वाले 31 वर्षीय पवन केवलानी की मौत कोरोना से हुई थी, उनके बड़े भाई प्रेम केवलानी बताते हैं कि उनका छोटा भाई था पवन केवलानी, और वो लोग कोविड-19 के चेकअप के लिए मेडिकल कॉलेज गए थे, तो वहां उनके भाई को कोरोना पॉजिटिव बताकर भर्ती करा लिया गया था, और पॉजिटिव होने के बाद वहां उसका इलाज चल रहा था. वो बिल्कुल अच्छा था, लेकिन एक दिन 17 अप्रैल की रात को ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से 18 अप्रैल को जब सुबह गए हैं, तो लगभग यहां 16 से 17 लोगों की मौतें एक साथ हो गईं थी, पवन के बड़े भाई बताते हैं कि रात को हम 11 बजे देखकर आए थे तो उनके पवन की पल्स की स्पीड 90-91 चल रही थी, और सुबह मरीज की भोर में मौत हो गई और उस दिन 16 से 17 मौतें हुई थीं. उन्होंने बताया कि उस दिन पूरे दिन इस तरह का सिलसिला चलता रहा.
'डीन ने खुद कहा ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत'
मामला तब गंभीर हो गया जब सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया कि देश में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है, और नॉर्मल मौत हुई है, मृतक के भाई ने बताया कि उस समय डीन ने ये खुद कहा था कि ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से ये मौतें हुई हैं. पीड़ित का कहना है कि अभी वह कोविड का सर्टिफिकेट लेने के लिए दो माह से दौड़ रहा है, लेकिन उसे अभी कोविड का सर्टिफिकेट नहीं दे रहे हैं.
यहां भी ऑक्सीजन की कमी से मौत
वहीं, ऑक्सीजन की कमी से दूसरी मौत जिला मुख्यालय से महज 10 किलो मीटर दूर स्थित पटासी गांव के रहने वाले 29 वर्षीय राज कुमार की भी हुई थी. मरीज की मौत 17-18 अप्रैल की दरमियानी रात को हुई थी, उनके भाई राम कुमार उस रात की कहानी बताते हैं कि मेरे भाई 4 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हो गए थे.'मैंने उस समय जिला अस्पताल में एडमिट कराया था. वहां से उन्हें शहडोल मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया गया था, मृतक का भाई बताता हैं कि रैफर कराने के बाद उनके भाई की कंडीशन सही हो गई थी.