मंडला।पूरे देश में कोरोना ने अपना कहर फैला रखा है, जिसके कारण इस साल स्कूल नहीं खुले है और बच्चों को ऑनलाइन मोबाइल, टीवी या फिर रेडियो के जरिए पढ़ाया जा रहा है. ये पढ़ाई का तरीका ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी कारगर साबित हो रही है, ये ग्रामीण क्षेत्र के हालातों से समझा जा सकता है. पूरे मंडला जिले में माध्यमिक स्कूल के महज 31 प्रतिशत बच्चे ही वैकल्पिक शिक्षा से जुड़ पाए हैं, जबकि हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल के 67 प्रतिशत बच्चों तक पाठ्य सामग्री पहुंच पा रही है. जिसकी मुख्य वजह है, बच्चों के या उनके पालकों के पास एंड्रॉयड मोबाइल फोन का ना होना. शिक्षा विभाग के अधिकारी खुद मानते है कि, बिना स्कूल खोले बच्चों को पढ़ाना बड़ा चैलेंज है.
इन दिनों स्कूल के बच्चों को मोबाइल, टीवी और रेडियों से पढ़ाया जा रहा है, ये पढ़ाई ग्रामीण क्षेत्रों में कितना कारगर साबित हो रही है, इसकी तस्दीक कर रहे हैं जिला शिक्षा विभाग के द्वारा दिए गए आंकड़े, माध्यमिक स्तर पर सिर्फ 31 प्रतिशत बच्चे, वहीं हाई और हायर सेकेंडरी स्तर पर 67 प्रतिशत बच्चे ही पढ़ाई से जुड़ पा रहे हैं. साथ ही हजारों बच्चे ऐसे हैं, जिनके पास किताबें तक नहीं पहुंच पाई हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े ?
प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के कितने बच्चों को मिला लाभ
कक्षा पहली से आठवीं से तक मंडला जिले में कुल 10,0399 बच्चे रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से सिर्फ 31,957 बच्चे ही सोशल मीडिया ग्रुप से जुड़ पाए हैं. जिसका प्रतिशत सिर्फ 31.83 आता है. जबकि ऐसे बच्चे जिनके पालकों या उनके पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है, उनकी संख्या 68,442 है. ऐसे में समझा जा सकता है कि, करीब 69 प्रतिशत बच्चे पढ़ाई से दूर हैं. वहीं अगर आठवीं पास बच्चों की बात की जाए तो, इसकी संख्या 15,979 है. जिसमें से महज 20.83 प्रतिशत बच्चे, यानी सिर्फ 3329 विद्यार्थी ही सोशल मीडिया ग्रुप से जुड़ पाए हैं. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि, मोबाइल, टीवी और रेडियो से बच्चों की पढ़ाई का माध्यम किसी हाल में व्यावहारिक नहीं है.
हाई और हायर सेकेंडरी के आंकड़े नहीं संतोषजनक
9वीं से 12वीं कक्षा की बात की जाए तो, जिले में कुल 39,148 बच्चे रजिस्टर्ड हैं. जिनमें से सिर्फ 14,574 विद्यार्थियों या उनके पालकों के नम्बर सोशल मीडिया ग्रुप में जुड़ पाए हैं और ये पढ़ाई से संबंधित नोट्स प्राप्त कर रहे हैं. वहीं शिक्षा विभाग का कहना है कि, बाकी के 3326 बच्चे टीवी और 7 विकासखंड के 8645 केबल नेटवर्क के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं, जो वास्तविकता में कम हैं, लेकिन आंकड़ों की कहानी ज्यादा लगती है. क्योंकि जिन बच्चों के घर पर टीवी है, वे भी दावे से नहीं कहा जा सकता कि, पढ़ाई कर रहे होंगे.