मंडला।भीषण गर्मी के मौसम में आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में जलसंकट की स्थिति भयावह हो जाती है. ऊपर से सरकारी योजनाएं भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने लगे तो फिर कहना ही क्या है. मंडला शहर की प्यास बुझाने के लिए शहर में शुरु की गई करोड़ों की जल प्रदाय योजना का हाल कुछ ऐसा ही है. लापरवाही का आलम यह है कि जो योजना एक साल में पूरी हो जानी थी. वो योजना दो साल में भी पूरी नहीं हो पाई.
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई करोड़ों की पेयजल योजना 17 करोड़ से भी नहीं बुझी प्यास
मंडला में 17 करोड़ रुपए की लागत से शुरु की गई मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना का शुभांरभ 2013 में हुआ था. ठेकेदार ने इस काम को पूरा करने के लिए पूरे ढाई साल का वक्त लिया. मंडला के लोगों को लगा कि अब शायद उनकी प्यास बुझेगी. लेकिन यह योजना अव्यवस्था के साथ भ्रष्टाचार की ऐसी भेंट चढ़ी की न तो पाइप लाइन पानी का दबाव झेल पायी और न ही पानी सप्लाई के चैम्बर शुरु हो पाए. लिहाजा पहली ही टेस्टिंग में जगह-जगह पाइप लाइन फूट गई, मंडला के लोगों का घर-घर तक पानी पहुंचने का सपना एक झटके में ही टूट गया. योजना पूरी होने के बाद भी करीब 50 प्रतिशत घरों तक नई योजना से शुद्ध पानी नहीं पहुंच पा रहा है.
पांच साल बाद भी शुरु नहीं हुई योजना जगह-जगह खोदी गई थी सड़कें
योजना से लोगों के घरों तक पानी तो पहुंचा नहीं पर शहर की सुंदरता जरूर बिगड़ गई. पाइपलाइन बिछाने के लिए जगह-जगह खोदी गई सड़कों की न तो मरम्मत हुई और न योजना शुरु हो पाई. मंडला फिल्टर प्लांट से महाराजपुर तक चार किलोमीटर की लाइन को छोड़कर जहां भी पाइप लाइन बिछाई गई वहां की सड़क क्षतिग्रस्त हो गई. लेकिन काम होने के बाद इन सड़कों की मरम्मत की जहमत किसी ने नहीं उठाई. बारिश के दिनों में यह टूटी सड़क स्थानीय लोगों के लिए परेशानियों का सबब बन जाती है. जिस पर चलना भी मुश्किल हो जाता है.
नहीं हुई सड़कों की मरम्मत नगर-पालिका नहीं दे रहा ध्यान
पेयजल योजना पर जब नगरपालिका अधिकारी से बात की गई तो रटा रटाया जबाव सुनने को मिला. कुछ कमियां रह गई हैं जल्द पूरी हो जाएगी. लेकिन हकीकत कुछ ऐसी है कि योजना का स्टीमेट तैयार करने में नगर पालिका के तकनीकी अमले से लेकर भोपाल स्तर के अफसरों ने बड़ी लापरवाही बरती.
योजना में मुख्य पाइपलाइन के गेट बॉल्व और चेंबर बनाया ही नहीं गया. जिससे पानी का अधिक प्रेशर पड़ने पर पाइप लाइन के जोड़ खुल जाते हैं और पानी घरों तक पहुंचने की बजाय फब्बारों से फूट पड़ता है. अब इस समस्या के निराकरण करने के लिए एक बार फिर से प्रयास हो रहे हैं जिस में कितना समय लगेगा यह कहा नहीं जा सकता. अधिकारी कुछ भी कहें लेकिन मंडला के लोग आज भी पानी के लिए परेशान हो रहे हैं. बड़ा सवाल यह भी है आम जनता के लिए शुरु की जाने वाली इतनी बड़ी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है और लोगों की परेशानियां जस की तस बनी रहती हैं.