जबलपुर। कभी सियासी बयानबाजी का विषय तो कभी सत्ता के लिए संजीवनी का काम करने वाला गौवंश एक बार फिर सरकार की नीतियों में बदलाव की तस्वीर को देखने जा रहा है. कमलनाथ सरकार में मध्यप्रदेश के लिए 1 हजार गौशालाओं (mp gaushala) की सौगात की बात हो या फिर दोबारा सत्ता पर काबिज हुई शिवराज सरकार में 2 हजार और नई गौशालाओं के निर्माण की बात हो कुल 3000 गौशालाओं के निर्माणाधीन होने के साथ-साथ ग्राम पंचायतों को पांच एकड़ जमीन में गौशालाओं की स्थापना कर उसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई थी.
गौशाला चलाना सरकार का काम नहीं:इससे पहले कि यह तस्वीर मूर्त रूप लेती कि एक बार फिर गौवंश को लेकर नए नियम कायदे तैयार हो गए हैं. सरकार ने फैसला लिया है कि अब तमाम गौशालाओं को एनजीओ यानी गैर राजनीतिक संगठन संचालित करेंगे. सरकार ने प्रति गाय के लिए पहले से ही 20 प्रतिदिन का खाना-पीना तय कर दिया था और 3 लाख गौवंश होने के दावे के साथ साल भर में 300 करोड़ के बजट की दरकार बताई थी. अब मध्य प्रदेश गोपालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वर नंद गिरी का नया बयान सामने आ गया है (akhileshwaranand giri statement). उनका कहना है कि गौशाला चलाना पहली बात तो सरकार का काम नहीं है. सरकार सिर्फ अपने हिस्से का काम करेगी. चूंकि ग्राम पंचायतें भी अनुभव ना होने के चलते गौशालाओं का संचालन नहीं कर पा रही हैं, ऐसे में NGO के हवाले गौशालाओं को करने का निर्णय किया गया है (NGO run gaushala in mp).