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YearEnder2020: जबलपुर हाईकोर्ट के वो बड़े फैसले जिन्हें कोरोना काल में रखा जाएगा याद

कोरोना वायरस के चलते हर किसी के लिए साल 2020 किसी बुरे सपने जैसा रहा. हर वर्ग और हर क्षेत्र इस वायरस के चलते प्रभावित हुआ है. वहीं जबलपुर हाईकोर्ट पर कोरोना का असर देखने मिला. जिसके चलते कोर्ट को भी बंद करना पड़ा, लेकिन इस साल कई अहम फैसलों पर कोर्ट ने वर्चुअली सुनवाई की.

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Published : Dec 23, 2020, 8:16 AM IST

Updated : Dec 23, 2020, 2:24 PM IST

Jabalpur High Court
जबलपुर हाईकोर्ट

जबलपुर।कोरोना वायरस की वजह से मार्च से हाईकोर्ट बंद है और सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बीते 1 साल में महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले दिए हैं.

माननीयों के अपराधिक रिकॉर्ड

सांसदों और विधायकों के खिलाफ अपराधिक मामलों की सुनवाई इस साल का सबसे महत्वपूर्ण मामला माना जा सकता है. यह एक सोमोटो पिटिशन थी, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार लगाई गई थी. इस याचिका के लगने के बाद इस मामले में भोपाल में एक स्पेशल कोर्ट का गठन हुआ और माननीयों के खिलाफ लगी याचिकाओं पर लगातार सुनवाई की जा रही है. हालांकि अभी भी 194 मामले बाकी हैं.

जनहित याचिकाकर्ता

झोलाछाप डॉक्टर

झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण मामले में हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग से झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर कर कार्रवाई करने का फैसला सुनाया. जबलपुर के आठ फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. इसकी सुनवाई अभी भी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चल रही है.

निजी अस्पतालों पर लगाम

कोरोना वायरस के इलाज के नाम पर हाईकोर्ट ने निजी अस्पतालों पर लगाम कसी और मनमाने दामों की बजाए मात्र 40% ही अधिक फीस बढ़ाने की लगाम लगाई.

एडवोकेट

कोरोना वायरस फैलाने वाले अधिकारी पर शिकंजा

कोरोना वायरस से जुड़े हुए एक दूसरे मामले में हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर जबलपुर नगर निगम के अपर आयुक्त राकेश अयाची के खिलाफ भी शिकंजा कसा. ये मामला अभी भी हाईकोर्ट में है, लेकिन राकेश अयाची के परिवार में हुई शादी की वजह से शहर में कोरोना वायरस फैलने का आरोप लगाया गया था, यह मामला भी काफी चर्चा में रहा.

टाइगर का मामला

उड़ीसा भेजे गए टाइगर को वापस लाने के मामले में भी हाईकोर्ट ने वन विभाग और सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगे हैं.

समाजसेवी संस्था ने करवाए बड़े फैसले

जबलपुर की एक सामाजिक संस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच बीते साल भर चर्चा का विषय रही, क्योंकि इसने कई बड़े मामलों में न सिर्फ हाईकोर्ट से बल्कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से राष्ट्रीय स्तर के कई मुद्दों पर फैसले करवाएं. जिनका असर पूरे देश पर पड़ा. इसके अलावा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से भी कई बड़े मामलों में फैसले करवाए.

पार्षदों के चुनाव खर्च पर लगाम

पार्षद चुनाव में खर्च की सीमा तय करवाने का मामले में सामाजिक संस्था की जनहित याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्थानीय निकाय के चुनाव में पार्षदों के चुनाव में खर्च की सीमा निर्धारित कर दी है, अब तक पार्षद मनमाने तरीके से खर्च करते थे.

स्कूल फीस का मामला

कोरोना वायरस के संकट काल में बंद स्कूलों ने अभिभावकों से मनमानी फीस वसूलना शुरू किया. इस मामले में संस्था हाईकोर्ट चली गई और जनहित याचिका के जरिए हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला दिया कि बीते साल की ट्यूशन फीस के अलावा दूसरी कोई फीस स्कूल नहीं ले पाएंगे. इस मामले की वजह से प्रदेशभर के अभिभावकों ने राहत की सांस ली थी.

एनजीटी के फैसले

जबलपुर की इस सामाजिक संस्था ने बीते साल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में जबलपुर की डेरिया की वजह से होने वाले प्रदूषण का मुद्दा उठाया और हिरण गौर और नर्मदा नदी में मिलने वाली गंदगी की जानकारी दी. एनजीटी ने न केवल जबलपुर बल्कि देशभर में नदी किनारे बनी डेरियो को हटाने का आदेश दिया. इसी तरह गौशालाओं को भी शहर और किसी भी जल स्रोत से 500 मीटर दूर रखने का आदेश दिया गया है. यह याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की थी.

दीपावली पर पटाखे पर रोक

जबलपुर की समाज सेवी संस्था ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका लगाई थी, जिसमें यह कहा गया था कि पटाखों के धुएं की वजह से कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों को परेशानी हो सकती है और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पूरे देश में पटाखों पर रोक लगा दी थी. यह याचिका जबलपुर की इसी समाज सेवी संस्था ने लगाई थी.

इसके अलावा भी कई बड़े मामले हाईकोर्ट में पहुंचे. इनमें इलेक्शन पिटिशन अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का मुद्दा जिस पर अभी भी बहस जारी है. बिना चुनाव जीते मंत्री बनाने का मुद्दा जैसे कई बड़े मुद्दे हाईकोर्ट में बीते साल चर्चा का विषय रहे. हालांकि कोरोना वायरस ने हाईकोर्ट की रौनक को छीन लिया था. जो साल के जाते-जाते थोड़ी-थोड़ी लौटी है. अगर 2021 कोरोना से लड़ने में सफल रहा तो एक बार फिर हाईकोर्ट में दोबारा चहल-पहल देखने को मिलेगी.

Last Updated : Dec 23, 2020, 2:24 PM IST

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