जबलपुर।प्रदेश में गरीब परिवार में अचानक ही अगर किसी की मौत हो जाती है, तो उसके परिजनों को सरकार संबल योजना के तहत आर्थिक सहायता देती है. लेकिन गरीब परिवारों के लिए बनाई गई सरकार की महत्वकांक्षी योजना धीरे-धीरे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही है. ऐसा ही मामला जबलपुर के ददरगवां ग्राम पंचायत में देखने को मिला, जहां ग्राम पंचायत के सरपंच पति ने संबल योजना में बड़ा घोटाला किया, और हितग्राहियों को कम राशि देकर बाकी के रुपए हजम कर लिए.
संबल योजना में भ्रष्टाचार ग्राम पंचायात मेट ने लगाए आरोप
ग्राम पंचायत के मेट ने खुलासा करते हुए बताया कि ददरगवां ग्राम पंचायत के सरपंच पति मनसुख सिंह ने संबल योजना के तहत शासन से मिलने वाली लाखों रुपए की राशि स्वयं डकार ली है. इस फर्जीवाड़े में कांग्रेस के कुछ नेता भी सरपंच पति के साथ शामिल हैं.
ग्राम पंचायत मेट क्या है ?
नरेगा योजना के तहत सरकार मजदूरों का नाम रजिस्टर कर उन्हें जॉब कार्ड देती है. इन मजदूरों के उपर एक इनका सुपरवाईजर होता है. प्रत्येक 40 मजदूर के उपर एक अधिकारी होता है, जिसे ग्राम पंचायत मेट कहते है. ये मेट इन मजदूरों के काम को देखता है, हाजरी लगाता और कई काम भी करता है.
दूसरे खाता नंबरों में भेजी राशि
ग्राम पंचायत मेट सुभाष यादव ने बताया कि संबल योजना के तहत लाभ लेने वाले हितग्राहियों का प्रस्ताव सरपंच-सचिव बना कर देते हैं, और फिर उसे जनपद में जमा करने का काम मेट सुभाष यादव करता है. मेट सुभाष यादव ने भी वही किया जैसा सरपंच पति ने उसे कहा. सुभाष यादव ने बताया कि जिन हितग्राहियों को शासन की योजना का लाभ मिलना था, सरपंच पति ने उनका खाता नंबर न देकर दूसरों का खाता नंबर दे दिया, और खाते से राशि निकलवा कर स्वयं रख ली. इस तरह का फर्जीवाड़ा चार से पांच हितग्राहियों के साथ हुआ है. मेट सुभाष यादव का कहना है कि जब उसने इसका विरोध किया, तो कुछ रुपए उसे भी देकर उसका मुंह बंद करवा दिया गया. इतना ही नहीं पात्र हितग्राहियों को 2 लाख रुपए की जगह 40 से 50 हजार रुपए दिए गए हैं.
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मेट द्वारा लगाए गए आरोप पर सरपंच पति मनसुख सिंह का कहना है कि उन पर जो भी आरोप लगे हैं, वह पूरी तरह से बेबुनियाद हैं. मेट ने ही इस पूरे मामले में अनियमितता की है. वहीं संबल योजना के तहत हुए लाखों रुपए के फर्जीवाड़े की शिकायत पंचायत के उच्च अधिकारियों तक भी पहुंची, तो आनन-फानन में इसकी जांच शुरू कर दी गई.
जनपद CEO का कहना है कि इस मामले की अभी जांच करवाई जा रही है. मध्यप्रदेश में संबल योजना के तहत सामने आई गड़बड़ी का यह कोई पहला मामला नहीं है. जिले के दूरंचल ग्रामीण इलाकों में संबल योजना के तहत कई गड़बड़ियां सामने आती हैं, लेकिन अपने रसूख के चलते गांव के बड़े नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. अब देखना यह होगा, कि इस पूरे घोटाले को लेकर पंचायत विभाग के अधिकारी क्या जांच करते हैं, और किस तरह की कार्रवाई होती है.