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जानिए, देश के किन हिस्सों में फैली है अहिल्याबाई होळकर की धार्मिक विरासत

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होळकर ने अपने जीवन में सर्वाधिक प्राथमिकता दान, धर्म, मंदिरों और धार्मिक काम करें हैं. वहीं उन्होंने देश के कई हिस्सों में घाट और मंदिरों का निर्माण भी कराया है.

Ahilyabai Holkar's religious heritage
अहिल्याबाई होळकर की धार्मिक विरासत

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Published : Oct 8, 2020, 1:15 PM IST

इंदौर। होळकर राजघराने की पूर्व शासिका और प्रकांड शिवभक्त लोकमाता देवी अहिल्याबाई होळकर ने अपने पूरे जीवन में सर्वाधिक प्राथमिकता दान, धर्म, मंदिरों और धार्मिक गतिविधियों को दी. उन्होंने उस दौर में देशभर के ख्यात मंदिरों को आर्थिक सहयोग देने के साथ ही उनका विकास कराया. इसके अलावा देश के विभिन्न धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार कराया. खासगी ट्रस्ट के अनुसार अहिल्याबाई होळकर के ट्रस्ट के अधीन 246 धार्मिक संपत्तियां हैं, जिनमें 138 मंदिर, 18 धर्मशालाएं, 34 घाट, 12 छतरियां और 24 बगीचे व कुंड शामिल हैं.

अहिल्याबाई होळकर की धार्मिक विरासत

देवी अहिल्या ने कराया इन घाटों का निर्माण-

देवी अहिल्याबाई होळकर के खासगी ट्रस्ट द्वारा घाट बेचने के नाम पर उपजे विवाद के बाद इस मामले की खोजबीन में सामने आया है कि होळकर राजघराने की शासिका रहीं अहिल्याबाई होळकर ने करीब 34 घाटों का निर्माण करवाया था. जिनमें प्रमुख रूप से वाराणसी का अहिल्या घाट, मणिकर्णिका घाट और महिलाओं के लिए विशेष घाट है. इसके अलावा सरयू नदी पर अयोध्या में घाट क्रमांक 1 और 2 अहिल्याबाई होळकर की देन है. हरिद्वार का उषावर्त घाट, हर की पौड़ी के पास घाट, मथुरा में कलियादेह घाट, प्रयाग में घाट, हंडिया में नर्मदा नदी पर बना घाट, पुणतांबा गोदावरी पर बना घाट, महाराष्ट्र के अहमदनगर में अहिल्याबाई के जन्म स्थान पर सीना नदी पर बना घाट, कुरुक्षेत्र का लक्ष्मी कुंड तथा पंच कुंड घाट, कानपुर में ब्राह्मण घाट इसके अलावा खरगोन जिले के महेश्वर में बने अहिल्या घाट, राजराजेश्वर घाट, काशी विश्वेश्वर घाट, पेशवा घाट, भारमल दादा घाट, सरदार फणसे घाट लोकमाता अहिल्याबाई होळकर के दान पुण्य और धर्मार्थ कार्यों की देन है.

अहिल्याबाई होळकर की धार्मिक विरासत

देशभर में कराया कई मंदिरों का निर्माण-

लोकमाता अहिल्याबाई होळकर देश में एकमात्र ऐसी शासिका रहीं जिन्होंने अपने धार्मिक प्रकल्प का कार्य क्षेत्र सिर्फ इंदौर या मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं रखा. उन्होंने देशभर में धार्मिक स्थलों का विकास कराया. वहीं देश के प्रमुख मंदिरों में पूजा का प्रबंध अथवा मंदिरों का जीर्णोद्धार भी कराया

अहिल्याबाई होळकर की धार्मिक विरासत
  • 4 धाम के प्रमुख बद्रीनाथ मंदिर में पूजा का प्रबंध कुंड और वो चढ़ाई के लिए स्थान का निर्माण
  • जगन्नाथ पुरी में धर्मशाला, मंदिर तथा अन्य धर्म क्षेत्र का निर्माण एवं पूजा प्रबंध
  • रामेश्वरम मंदिर में धर्मशाला अथवा हनुमान मंदिर की स्थापना
  • औरंगाबाद में गुफाओं के पास मंदिर का जीर्णोद्धार
  • बनारस में काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य एवं शिवलिंग की स्थापना
  • नर्मदा तट ओमकारेश्वर मंदिर में धर्मशाला का निर्माण तथा अन्य क्षेत्रों के विकास के साथ पूजा व्यवस्था
  • त्रंबकेश्वर मंदिर में धर्मशाला, उषा बर्थ कुंड तथा अन्य क्षेत्र का निर्माण
  • सोमनाथ मंदिर का विकास एवं निर्माण
  • केदारनाथ मंदिर में धर्मशाला कुंड और मंदिर पूजा प्रबंध
  • जगन्नाथ पुरी में धर्मशाला मंदिर तथा अन्य निर्माण क्षेत्र
  • बैजनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का प्रवेश द्वार
  • 12 ज्योतिर्लिंगों में नागेश्वर महादेव मंदिर में 85 फीट ऊंची शिव प्रतिमा
  • सोमनाथ मंदिर में झीणों द्वार मंदिर के गर्भ गृह में विशाल शिवलिंग की स्थापना

इन मंदिरों में कराई पूजा व्यवस्था-

अयोध्या में श्री राम मंदिर, उज्जैन के चिंतामन गणेश मंदिर, ओमकारेश्वर में ममलेश्वर मंदिर, नासिक में श्री राम मंदिर, संगम नगर में श्री राम मंदिर, पंढरपुर के श्री राम मंदिर, महाराष्ट्र के चोरी में महादेव मंदिर, चित्रकूट में मंदिर, पुष्कर में मंदिर, ऋषिकेश में राम मंदिर, भुसावल में वासुदेव मंदिर, सुल्तानपुर में गणपति मंदिर, संभल ग्राम में लक्ष्मी नारायण मंदिर, प्रयाग में विष्णुपद मंदिर, जेजुरी महाराष्ट्र में मल्हार गौतमेश्वर मंदिर, मेनी में महादेव मंदिर, मथुरा में वृंदावन मंदिर के लिए दान राशि भेंट की.

अहिल्याबाई होळकर की धार्मिक विरासत

इन प्रमुख मंदिरों का जीर्णोद्धार-

अहिल्याबाई होळकर की धार्मिक विरासत

काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, गया में स्थित विष्णुपद मंदिर, परली में बैजनाथ मंदिर, एलोरा के गणेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार अहिल्याबाई होळकर द्वारा कराया गया. इसके अलावा शंभू महादेव मंदिर, नाथद्वारा, नीमगांव, नासिक, पीपल गांव, सा कल गांव जिला अहमदनगर, वास गांव नासिक में कुएं और बावरियों का निर्माण कराया गया. इसके अलावा बद्रीनारायण मंदिर मथुरा, हरिद्वार, रामेश्वरम, अमरकंटक, सत्संगी देवी मंदिर जिला नासिक, भरतपुर बुंदेलखंड में और नैमिशराय प्रयाग नासिक में और अयोध्या में धर्मशालाओं का निर्माण कराया गया.

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