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छिंदवाड़ा के गुरु जी ने कर दिया कमाल! एक प्रतिशत वेतन कटौती से मिडिल स्कूल बनाया बेमिसाल

छिंदवाड़ा में शासकीय स्कूल में शिक्षकों के नवाचार (chhindwara government teacher initiative) से एक मॉडल स्कूल तैयार किया है. यह स्कूल आज निजी स्कूल को भी मात दे रहा है. स्कूल में वह सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो एक प्राइवेट स्कूल (chhindwara government school redeveloped) में मिलती हैं.

chhindwara government school
छिंदवाड़ा का सरकारी स्कूल

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Published : Dec 19, 2021, 1:45 PM IST

Updated : Dec 19, 2021, 2:11 PM IST

छिंदवाड़ा। मोटी फीस चुकाकर अच्छे संसाधनों वाले स्कूल तो आपने बहुत देखे होंगे, लेकिन छिंदवाड़ा के आदिवासी गांव घोघरी में शिक्षकों ने अपनी तनख्वाह से पैसे खर्च कर ऐसा मॉडल स्कूल (chhindwara government teacher initiative) तैयार किया है, जो बड़े-बड़े निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है. शिक्षकों के इस नवाचार की अब हर जगह प्रशंसा हो रही है. साथ ही जो छात्र कभी स्कूल नहीं आते थे वह आज स्कूल में मन लगाकर पढ़ रहे हैं.

अब ऐसा दिखता है छिंदवाड़ा का स्कूल

कैसे आया बदलाव का आइडिया ?
शिक्षकों का कहना है कि साल 2016 तक उनके स्कूलों में हर साल बच्चों की संख्या (chhindwara government school redeveloped) घट रही थी. उनका रुझान निजी स्कूलों की ओर हो रहा था. हालांकि कई ऐसे परिवार थे जो निजी स्कूल की मोटी फीस भरकर बच्चों को पढ़ाने में सक्षम हो. बच्चों के मन में हीन भावना न रहे और बच्चों का सरकारी स्कूल के प्रति रुझान बढ़े. यहां से अध्यापकों के जहन में बदलाव का आइडिया आया.

कहां से आया बजट ?
घोघरी के शासकीय मिडिल स्कूल में तीन शिक्षक हैं. प्रधान शिक्षक को स्कूल की बदहाल स्थिति (chhindwara middle school condition) को सुधारने का ख्याल दिमाग में आया, लेकिन बजट को लेकर वह रुक जाते थे. फिर सभी सह शिक्षकों से चर्चा कर 2016 से हर माह अपनी सैलरी से एक फीसदी की कटौती कर जोड़ना शुरू की. साल दर साल पैसा जुड़ता गया और वह स्कूल के कायाकल्प में लगना शुरू हो गया. आज पांच साल बाद स्कूल निजी स्कूल से भी बेहतर नजर आ रहा है.

मॉडल स्कूल में छात्रों को मिल रहीं ये सुविधाएं
इस स्कूल में छात्रों को लगभग वह सभी सुविधाएं मिल रही है, जो एक प्राइवेट स्कूल में (facilities in chhindwara government school) मिलती है. यहां छात्रों के लिए एक पुस्तकालय बनाया गया है, जहां छात्र एनसीआरटी से लेकर कोई भी किताब पढ़ सकते हैं. शारीरिक शिक्षा के तहत स्कूल में छात्रों के लिए खेल का सामान भी रखा गया है. समय समय पर अब उन्हें फिजिकल एक्टीविटी भी करायी जाती हैं. स्मार्ट क्लास रूम तैयार किये गए हैं, जहां प्रोजेक्टर लगा है. बच्चों के मनोरंजन और देश दुनिया की जानकारी से अवेयर रहने के लिए रेडियो लगाया गया है.

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निजी स्कूलों को पीछे छोड़ने वाला आदिवासी इलाके का ये स्कूल अब बच्चों के लिए भी मॉडल साबित हो रहा है. यहां पर अब शत प्रतिशत बच्चे स्कूल आ रहे हैं. बच्चों का कहना है कि उन्हें पढ़ाई के अलावा खेल और मनोरंजन हर कुछ उनके स्कूल में ही मिल जाता है. उन्हें स्कूल में बहुत अच्छा लगता है और अब पहले की अपेक्षा पढ़ाई में अधिक मन लग रहा है.

Last Updated : Dec 19, 2021, 2:11 PM IST

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