भोपाल। सोमवार से शुरू होने जा रहे विधानसभा के प्रश्नकाल के दौरान विधायकों को क्षेत्र की समस्याएं उठाने के लिए ज्यादा समय और मौका मिलेगा. विधानसभा सत्र की पहली सर्वदलीय बैठक में इसके लिए एक फार्मूला तय किया गया है. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने बताया कि, प्रश्नकाल में विधायक पूछे गए प्रश्न और दिए गए लिखित जवाब से असंतुष्ट होने पर सिर्फ पूरक प्रश्न ही पूछ पाएंगे.
इससे जहां दूसरे विधायकों को सवाल पूछने का मौका मिलेगा. वहीं मंत्री भी बेहतर तरीके से अपना जवाब प्रस्तुत कर पाएंगे. उधर, इस बार 22 दिसंबर को प्रश्नकाल के दौरान सिर्फ पहली बार के विधायक और महिला विधायक के प्रश्न ही प्रश्नकाल में लिए जाएंगे. सर्वदलीय बैठक में विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्य बढ़ाए जाने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया है.
25 विधायकों को मिलता है सवाल पूछने का मौका
विधानसभा सत्र के दौरान शुरुआत का एक घंटा प्रश्नकाल के लिए निर्धारित किया जाता है. प्रश्नकाल के लिए लॉटरी निकाल कर तारांकित सवालों के रूप में 25 प्रश्नों को चुना जाता है. इन प्रश्नों को लेकर संबंधित विधायक सदन में अपनी बात रखते हैं. हालांकि विधायक द्वारा पूछे गए सवाल और उसका उत्तर लिखित में पहली ही संबंधित विभाग द्वारा विधायक को भेज दिया जाता है.
आमतौर पर विधायक जब प्रश्नकाल के दौरान अपनी बारी आने पर बोलने के लिए खड़े होते हैं, तो सबसे पहले वे सवाल बताते हैं और भेजे गए उत्तर की जानकारी देते हैं. इसके बाद ही उससे जुड़े अन्य प्रश्न सदन के सामने रखते हैं. इसकी वजह से निर्धारित समय खराब जाता है और दूसरे विधायकों को निर्धारित 1 घंटे के समय में से प्रश्न पूछने का अवसर ही नहीं मिलता.
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अब यह की गई है व्यवस्था