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MP Farmer Trouble: लहसून नदी में फेंका था, अब सड़कों पर सड़ रहा टमाटर

मध्यप्रदेश में लहसुन के बाद अब टमाटर ने किसानों को रुलाना शुरू कर दिया है. हालत ये है कि मंडी में उचित मूल्य नहीं मिलने से परेशान किसान टमाटर को सड़क पर फेंकने को मजबूर हो गए हैं.

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एमपी में टमाटर की कीमतों में गिरावट

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Published : Mar 14, 2023, 10:06 PM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश में लहसुन और टमाटर की फसल ने किसानों का भरपूर इम्तिहान लिया. दाम नहीं मिलने पर हालात यहां तक बन गए कि कहीं किसान लहसुन की फसल को नदी में बहाने को मजबूर हो गए, तो कहीं किसानों ने खुद अपने खून पसीने की मेहनत में आग लगा दी. तस्वीरें ये भी आईं कि किसानों ने लहसुन पर पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया. एमपी में लहसुन का जो सूरत-ए-हाल पिछले साल बना था, वही तस्वीर अब छिंदवाड़ा में टमाटर उत्पादक किसान की हो रही है. 2 रुपए से 3 रुपए भाव में बिकते टमाटर के बाद अब ये किसान इसे फेंकने को मजबूर हैं.

एमपी टमाटर की कीमतों में गिरावट किसान रो रहे

टमाटर की नहीं मिली मजदूरी:छिंदवाड़ा जिले में टमाटर की बंपर आवक के चलते इस समय भी 2 से 3 रुपए किलो थोक मंडी में भाव मिल रहे हैं. इसकी वजह से किसानों का लागत मूल्य निकाल पाना तो बहुत दूर की बात है इसकी मजदूरी निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है. आमतौर पर फरवरी और मार्च में टमाटर के दाम 30 से 40 रुपए किलो तक पहुंच जाते हैं. लेकिन इस बार ये भाव भी नहीं मिलने से किसानों की हालत खराब है. टमाटर की 1 एकड़ फसल लगाने में किसानों को करीब 70 हजार रुपए से लेकर 80 हजार रुपए का खर्च आता है. लेकिन दाम नहीं मिलने से अब किसानों को 40 से 50 हजार प्रति एकड़ घाटे का सामना करना पड़ रहा है.

छिंदवाड़ा के किसान ने नुकसान होने पर टमाटर फेंका

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लहसुन ने किसान को रुलाया:लहसुन का बीज औसत 7 हजार प्रति क्विंटल के हिसाब से किसान खरीददता है. लेकिन पिछले दिनों जो फसल आई तो 4 सौ से 5 सौ रुपए प्रति क्विंटल के भाव से ये लहसुन बिकी. किसान ने 2 से 3 रुपए कीमत में लहसुन बेचा और कई नाराज हताश किसानों ने इसे नदी में बहा दिया. बीते 10 साल का रिकार्ड देखें तो एमपी में लहसुन का उत्पादन का एरिया लगातार बढ़ा है. 10 साल पहले जो 94945 हेक्टर में लहसुन की फसल आ रही थी अब वो बढ़कर 1 लाख 93 हजार 66 रुपए तक पहुंच रही है. उत्पादन करीब 11 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 19 लाख मीट्रिक टन के करीब पहुंच गया, लेकिन उस ढंग से कीमत नहीं मिली. नतीजा ये है कि लहसुन ने किसान भाईयों को रुला दिया है.

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