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पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने बीजेपी पर बोला हमला, कहा- महामारी के वक्त गायब हैं सांसद

कोरोना महामारी के बीच मध्यप्रदेश के पूर्व जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला है. सांसद पर हमला बोलते हुए कहा कि कोरोना और लॉकडाउन की शुरुआत से ही भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर के नजर नहीं आ रहीं हैं.

MPs are missing during the epidemic
महामारी के वक्त गायब हैं सांसद

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Published : May 14, 2020, 6:26 PM IST

भोपाल। कोरोना महामारी के बीच मध्यप्रदेश के पूर्व जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि एक तरफ पूरा देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है. मध्य प्रदेश के हालात भयावह होती जा रही है . राजधानी भोपाल में लगातार कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. लगातार मौतों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है. इस भयावह स्थिति के बीच में भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर कहीं नजर नहीं आ रही हैं.

महामारी के वक्त गायब हैं सांसद

कोरोना और लॉकडाउन की शुरुआत से ही भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर के नजर नहीं आने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. प्रज्ञा ठाकुर की गैर मौजूदगी को लेकर जहां भाजपा ने चुप्पी साध रखी है. वहीं दूसरी तरफ भोपाल के लोगों ने सोशल मीडिया पर प्रज्ञा ठाकुर की गुमशुदा की तलाश का अभियान चला दिया है. वहीं कांग्रेस नेता भी प्रज्ञा ठाकुर की गैर मौजूदगी को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं.

महामारी के वक्त गायब हैं सांसद

पूर्व जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर से चुनाव हारने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार भोपाल में लोगों की मदद के लिए अभियान चला रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ मिलकर जहां उन्होंने भोपाल में अलग-अलग इलाकों में 13 रसोई घर स्थापित किए हैं. साथ ही लोगों की घर वापसी के लिए ई-पास बनवाने और हर तरह की मदद के लिए काम कर रहे हैं.

इतना ही नहीं पीसी शर्मा ने कहा कि सांसद जनता के लिए केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है और आज अगर वह मौजूद होता तो लोगों को ज्यादा मदद मिलती. केंद्र सरकार से ज्यादा से ज्यादा मदद ले सकता था. साथ ही कहा कि कई लोगों की भोपाल में कोरोना वायरस से जाने जा चुकी हैं.

पीसी शर्मा ने कहा कि लोग मुसीबत में हैं, मजदूर पैदल चल रहे हैं, पैरों में चप्पल नहीं है, खाने के लिए भोजन नहीं है, पीने के लिए पानी नहीं है. घर पहुंचने के लिए कोई वाहन नहीं है. ऐसी स्थिति में सांसद लोगों की मदद कर सकती थीं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भोपाल की जनता ने ऐसी जनप्रतिनिधि चुना.

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