भोपाल। कोरोना काल के चलते इस साल बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह को काफी सीमित दायरे में ही आयोजित किया गया. दीक्षांत समारोह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दीक्षांत समारोह को संपन्न किया गया. कोरोना काल के दौरान प्रदेश का पहला दीक्षांत समारोह है, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया गया है. बता दें कि इस कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुईं. राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में कला, सामाजिक विज्ञान, जीव विज्ञान, विधि, वाणिज्य, शिक्षा, गृह विज्ञान और प्रबंध संकाय के 62 विद्यार्थियों को पीएचडी की ई-उपाधि प्रदान की.
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह राज्यपाल ने उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि हमारे युवा शोध के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहे हैं. दीक्षांत समारोह में 27 विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धियों के आधार पर स्वर्ण पदक प्रदान किए गए हैं.
जिसमें 21 छात्राएं और 6 छात्र हैं. राज्यपाल ने कहा कि हमारी बेटियों की सहभागिता और परिश्रम का परिणाम है कि उन्होंने अधिक मेडल प्राप्त किए. आने वाले दिनों में हमें इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे. वहीं प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष धीरेन्द्र पाल सिंह, विश्वविद्यालय के कुलपति आरजे राव और कुल सचिव अजित श्रीवास्तव भी कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े थे.
शिक्षा से होता है समाज बोध: राज्यपाल
राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को राजभवन लखनऊ से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा से व्यक्ति में समाज बोध का विकास होता है. वह समाज के सभी अंगों के प्रति आदर, समन्वय और सहयोग की भावना को आत्मसात करता है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति को पूर्णता प्रदान कर एक जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है. सही और सार्थक शिक्षा व्यक्ति के वैयक्तिक व सामाजिक उद्देश्यों में समन्वय स्थापित कर उसे अपने जीवन के लक्ष्यों का चयन करने और हासिल करने के लिए प्रेरणा प्रदान करती है.
नई शिक्षा नीति नवाचार की भावना पर आधारित
राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की संकल्पना समाज की आवश्यकता, विद्यार्थियों की रचनात्मक सोच, तार्किकता और नवाचार की भावना पर आधारित है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारत की परम्परा, विरासत, सांस्कृतिक मूल्यों एवं तकनीकी ज्ञान और कौशल विकास में समन्वय स्थापित करने का सफल प्रयास किया गया है. प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं. स्नातक स्तर पर महत्वपूर्ण सुधार करते हुए तीन-चार साल के स्नातक कार्यक्रम में विद्यार्थियों को कई स्तरों पर पाठ्यक्रम छोड़ने का प्रावधान किया गया है. इससे विद्यार्थी अपनी सुविधा और रुचि के अनुसार उपाधि प्राप्त कर जीवन में विकल्प चुन सकेंगे.
युवा शक्ति से भरा हुआ है देश
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आज का यह दौर हम सभी के लिए कठिन है. हमारे युवाओं की कठिनाई तो और भी गंभीर दिखाई देती है. आवश्यक है कि अपने सपनों को पूरा करने के प्रयासों में सभी युवा निरंतर जुटे रहे, हमारे देश के इतिहास में, ऐसे प्रेरक उदाहरण मौजूद हैं जहां बड़े-बड़े संकटों एवं चुनौतियों के बाद सामाजिक, आर्थिक और राष्ट्र पुनर्निर्माण का कार्य नई ऊर्जा के साथ किया गया. राज्यपाल ने युवा छात्रों की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमारा विशाल देश, युवा शक्ति से भरा हुआ देश है. आत्मनिर्भरता को दिल और दिमाग में बैठा लें.
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के खुद प्रयास करें और दूसरों के प्रयासों में मदद करें. यही विकास को नई गति, नई ऊर्जा देगा. राज्यपाल ने छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि वे प्रदेश एवं देश के विकास में अपनी सकारात्मक भूमिका सुनिश्चित करें. उनसे राष्ट्र को आशाएं हैं, जिसे वे अनुशासन, सदाचार, दृढ़ता, सामाजिक लगाव एवं संस्था तथा देश के प्रति प्रतिबद्धता जैसे गुणों के विकास के माध्यम से पूरा कर सकते हैं.