मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / city

गुरुजी की 'जिद': बनाया चलता फिरता स्कूल, गांवों में जगा रहे शिक्षा की अलख

सागर में एक सरकारी स्कूल का टीचर गांव के गरीब बच्चों को पढ़ा रहा है. कोरोना काल में जो बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, उन्हें मोबाइल स्कूल के जरिए शिक्षा दे रहे हैं.

mobile school
चलता फिरता स्कूल

By

Published : Mar 31, 2021, 5:32 PM IST

सागर। कोरोना काल में जब सबकुछ ठप हो गया था. कारोबार से लेकर पढ़ाई लिखाई सब चौपट हो रही थी. खास तौर पर गरीब परिवारों के बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए थे. पैसे वाले ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन गांव के गरीब बच्चे असहाय थे. ऐसे बच्चों के लिए मसीहा बनकर आए सागर के शिक्षक चंद्रहास श्रीवास्तव.

मास्टर जी का मोबाइल स्कूल, सबको मिले शिक्षा

मास्टर जी का स्कूटर और स्कूटर में स्कूल. जितना ये सुनने में हैरान करता है, देखते में भी उतना ही अद्भुत लगता है. खेतों के बीच में मास्टर जी की पाठशाला. मास्टर जी का नाम है चंद्रहास श्रीवास्तव. ये सरकारी स्कूल में टीचर हैं. सुबह 10 से शाम चार बजे तक स्कूल में सेवाएं देते हैं. लेकिन इस समय ये सरकारी स्कूल में नहीं हैं. ये है गांव का चबूतरा और चबूतरे पर स्कूल. गुरुजी करीब एक साल से यहां आ रहे हैं. सरकारी स्कूल की पहली घंटी बजने से पहले और छुट्टी की घंटी बजने के बाद मास्टर जी की यही पाठशाला होती है. गुरुजी का मकसद है उन गरीब बच्चों को पढ़ाना, जो कोरोना काल में स्कूल नहीं जा रहे हैं.

बनाया चलता फिरता स्कूल, गांवों में जगा रहे शिक्षा की अलख

अपना गांव, अपना आंगन

गांव में घर. घर का आंगन. अपनी अपनी बोरी लेकर आए बच्चे. टीचर के हाथ में मोबाइल. टकटकी लगाए मोबाइल देखते बच्चे. ऐसे ही बच्चों के लिए मास्टर चंद्रहास अपनी जेब से पैसे खर्च करते हैं. इनके लिए पढ़ने लिखने का सामान लाते हैं. पढ़ाई पर सभी का हक है. ये मानव को इंसान बनाने की जरूरी शर्त है. कोरोना महामारी के चलते प्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई. लॉकडाउन में की सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेज लगीं. सरकारी स्कूलों में ज्यादातर बच्चे गरीब तबके के होते हैं. उनके पास स्मार्टफोन नहीं होते .ऐसे में मास्टर चंद्रहास बच्चों के लिए मसीहा बनकर आए.

चलता फिरता पुस्तकालय

ये है असली शिक्षा का अधिकार. अब पढ़ाई नहीं रुकेगी. क्योंकि मास्टर ले आए हैं चलता फिरता पुस्कालय. मास्टर जी ने अपने दो पहिया वाहन को मोबाइल लाइब्रेरी बना दिया. पढ़ाई के बीच बीच में वो गांव के लोगों से भी बातचीत करते हैं. गांव वाले बच्चों की भाषा में बच्चों को बताते हैं, कि पढ़ाई क्यों जरूरी है. गुरुजी की बातचीत का तरीका इतना सरल है कि गांववालों के बीच वो चाय में शक्कर की तरह घुल जाते हैं..

मास्टर जी की जिद, चबूतरे पर बनाया स्कूल

हमारा घर हमार विद्यालय बच्चों से चहक रहा है . गावं के एक साथी बता रहे हैं, कि कोरोना में यहां कोई नहीं आता था. जब से चंद्रहास गुरुजी आए हैं, तो गांव में चहल पहल बढ़ गई है. बच्चों की रौनक लग लग गई है. मास्टर जी भी गांव की भाषा में पढ़ाते हैं, तो बच्चे उन्हें अपना ही समझते हैं. इससे पहले ये चबूतरा गंदगी का ढेर था. मास्टर जी ने जिद की, कुछ पैसे जेब से लगाए, गांववालों का साथ मिला, तो लगने लगी चबूतरे पर क्लास.

खेल खेल में पढ़ाई

खेल खेल में बच्चों को पढ़ाने का उनका तरीका काफी दिलचस्प है. बच्चों को बता ही नहीं चलता, कि वो कोई खेल रहे हैं या पढ़ रहे हैं.

ऐसा टीचर पाकर गांववाले हुए धन्य

प्राइमरी स्कूल के शिक्षक चंद्रहास श्रीवास्तव पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को कोरोना के प्रति भी जागरूक कर रहे हैं.वो अपने वेतन के कुछ हिस्से से सैनिटाइजर और मास्क खरीददार बच्चों को देते हैं. गांव के लोग ऐसे टीचर को अपने बीच देखकर धन्य मानते हैं.

ये है सच्ची देशभक्ति

कोरोना जैसी महामारी में कुछ लोगों ने आपदा को अवसर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. किसी ने जनसेवा की, तो किसी ने अपना कारोबार कई गुना बढ़ा लिया. किसी ने गरीबों को खाना खिलाया, तो किसी का मुनाफा करोड़ों रुपए बढ गया. महामारी में भी हिंदुस्तान आगे बढ़ रहा है, तो मास्टर चंद्रहास जैसे सैकड़ों लोगों की जिद की वजह से. अज्ञानता के खिलाफ इनकी जंग, सरहद पर लड़ रहे सैनिकों से कम नहीं है. यही तो सच्ची देशभक्ति है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details