मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / city

भोपाल में आमने-सामने मौजूद हैं एशिया की सबसे बड़ी और सबसे छोटी मस्जिद, जानिए इनका रोचक इतिहास

यूं तो दिल्ली की “जामा मस्जिद” को भारत की सबसे बड़ी मस्जिद बताया जाता है लेकिन इतिहासकारों के शोध के मुताबिक भोपाल की ‘बेगम सुल्तान शाहजहां’ द्वारा बनाई हुई “ताजुल मसाजिद” भारत की सबसे बड़ी मस्जिद में शुमार है. यह भारत की ही नहीं एशिया की भी सबसे बड़ी मस्जिद है. खास बात यह है कि एशिया की सबसे छोटी ढाई सीढ़ी की मस्जिद भी भोपाल में ही है.

bhopal-heaving-asia-largest-and-smallest-mosque
भोपाल में आमने-सामने मौजूद हैं एशिया की सबसे बड़ी और सबसे छोटी मस्जिद

By

Published : Oct 18, 2021, 10:23 PM IST

Updated : Oct 19, 2021, 10:38 AM IST

भोपाल। झीलों के शहर भोपाल की एक और बड़ी पहचान एशिया की सबसे बड़ी ताजुल मस्जिद भी है. यह बात भी लगभग सभी लोगों को मालूम होगी, लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं कि यही सबसे छोटी मस्जिद भी है. एशिया की ये सबसे छोटी और सबसे बड़ी दोनों मस्जिद आमने सामने ही हैं. हमीदिया हॉस्पिटल के सामने एशिया की सबसे बड़ी ताजुल मस्जिद है, तो हमीदिया हॉस्पिटल कैंपस में ढाई सीडी की मस्जिद भी है. जिसमें लोग नमाज भी अता करने आते हैं.

भोपाल में आमने-सामने मौजूद हैं एशिया की सबसे बड़ी और सबसे छोटी मस्जिद

बेगम सुल्तान शाहजाद ने बनवाई ताजुल मस्जिद
यूं तो दिल्ली की “जामा मस्जिद” को भारत की सबसे बड़ी मस्जिद बताया जाता है लेकिन इतिहासकारों के शोध के मुताबिक भोपाल की ‘बेगम सुल्तान शाहजहां’ द्वारा बनाई हुई “ताजुल मसाजिद” भारत की सबसे बड़ी मस्जिद में शुमार है. यह भारत की ही नहीं एशिया की भी सबसे बड़ी मस्जिद है. मस्जिद का निर्माण आखिरी मुगल शासक बहादुरशाह जफर की हुकूमत के समय करवाया गया था, लेकिन इस बीच शाहजहां बेगम की मृत्यू हो गई इसके बाद उनकी बेटी को यह काम संभालना पड़ा. सुल्तान जहां बेगम ने भी ताजुल मस्जिद का निर्माण जारी रखा.

“ताजुल मसाजिद” भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में शुमार है

पैसों की कमी से रोकना पड़ा

पैसों की कमी के कारण कुछ समय के लिए मस्जिद का निर्माण कुछ समय के लिए रूक गया, लेकिन फिर से इसमें तेजी आई और आज यह एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद में शुमार है. ताजुल मस्जिद में दो 18 मंज़िला ऊंची मिनारे हैं जो संगमरमर के गुंबद से सजी है। इसके अलावा मस्जिद में तीन बड़े गुंबज़ हैं जो मस्जिद की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. मस्जिद के कंपाउंड में एक बड़ा सा दालान, संगमरमर का फर्श और खंभे हैं.इसके साथ ही नमाज अता करने वालों के वुजू करने के लिए मोतिया तालाब और ताज-उल-मस्जिद को मिलाकर मस्जिद का कुल क्षेत्रफल 14 लाख 52 हजार स्क्वेयर फीट है. इस मस्जिद में आने वाले लोग बताते हैं कि वे और उनके पूर्वज कई पीढ़ियों से यहां आ रहे हैं.

ढाई सीढ़ी की मस्जिद का भी है अपना इतिहास
हमीदिया अस्पताल के कैंपस में बनी है ढ़ाई सीढ़ी की मस्जिद. जो गांधी मेडिकल कॉलेज' के पास फतेहगढ़ किले के बुर्ज के ऊपरी हिस्से में है. इस मस्जिद का निर्माण दोस्त मोहम्मद खान द्वारा करवाया गया. सादे और साधारण स्थापत्य में बनी इस मस्जिद में इबादत स्थल तक जाने के लिये केवल ढाई सीढ़ियाँ ही हैं, इसलिये इसे 'ढाई सीढ़ी की मस्जिद' कहा जाता है. यहां भी लोग नमाज पढ़ने आते हैं, लेकिन खास बात यह है यहां एक बार में एक से ज्यादा लोग एक बार में नहीं जाते. इसलिए इसे एशिया की सबसे छोटी मस्जिद माना जाता है. मस्जिद के अलावा यहां हर चीज ढ़ाई ही बनाई गई है. सीढ़ियां भी ढा़ई हैं, यहां बने कमरे भी ढाई हैं. इसके अलावा पहले जिस रास्ते से यहाँ आया जाता था, वहाँ भी सीढ़ियों की संख्या ढाई ही है. इतिहासकार बताते हैं कि पुराने समय में फतेहगढ़ किले में पहले पहरा देने वाले सैनिक य़हां नमाज अता किया करते थे. इस मस्जिद का इतिहास लगभग तीन सौ साल पुराना है.

भोपाल में ढाई सीढ़ी की मस्जिद भी है

दोस्त मोहम्मद खान ने कराया निर्माण

बताया जाता है कि अफ़ग़ानिस्तान के तराह शहर से नूर मोहम्मद ख़ान और उनके साहबजादे दोस्त मोहम्मद ख़ान भारत आए, तब भोपाल में रानी कमलापति का राज था. रानी के पति को उनके भतीजों ने जहर देकर मार दिया था. इस बात से रानी बहुत परेशान थी और बदला लेना चाहती थी. उसने बदला लेने वाले व्यक्ति को 1 लाख का इनाम देने की घोषणा भी की थी. रानी के पति की मौत का बदला दोस्त मोहम्मद ख़ान ने लिया जिसके बदले में रानी ने पचास हज़ार रुपये नगद और बाकी पचास हज़ार के लिए तत्कालीन फतेहगढ़, दस हज़ार के वार्षिक लगान के साथ दोस्त मोहम्मद ख़ान को दे दिया. बाद में दोस्त मोहम्मद ख़ान ने ही इस जगह पर फतेहगढ़ क़िले का निर्माण कराया. बताया जाता है कि क़िले की नींव का पत्थर काजी मोहम्मद मोअज्जम साहब ने रखा था. क़िले की पश्चिमी दिशा में स्थित बुर्ज को मस्जिद की शक्ल दी गई थी। इस तरह वर्ष 1716 में 'ढाई सीढ़ी की मस्जिद' भोपाल की पहली मस्जिद बनी.

Last Updated : Oct 19, 2021, 10:38 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details