ऊना: आजादी के 72 साल बाद भी हिमाचल में कई ऐसे गांव हैं, जो अभी भी सड़क सुविधा से महरुम हैं. जिला ऊना के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के निचली खड़ोल गांव के ग्रामीण सालों से सड़क सुविधा के लिए सरकार से आस लगाए बैठें हैं.
खड़ोल गांव में लगभग 80 से 85 घर मौजूद हैं, लेकिन गांव में किसी भी प्रकार की सुविधा न होने के चलते कुछ परिवार अपने पैतृक गांव से पलायन कर दूसरी जगह बस चुके हैं. वहीं, गांव के लिए सड़क सुविधा न होने के कारण ग्रामीण मरीजों को कंधे या पालकी में डालकर अस्पताल पहुंचाने को मजबूर हैं. समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न होने पर कुछ मरीज रास्ते में दम तोड़ चुके हैं.
ग्रामीणों का आरोप है कि चुनाव के समय ही नेताओं द्वारा गांव का रूख किया जाता है, लेकिन चुनाव खत्म होते ही किसी नेता द्वारा गांव की कोई सुध नहीं ली जाती. लोकसभा चुनाव से पहले वोट बैंक बटोरने के लिए मंत्री वीरेंद्र कंवर द्वारा सड़क निर्माण का शिलान्यास किया गया. गांव के लिए महज 100 मीटर सड़क का निर्माण भी किया गया. इसके बाद सड़क के काम पर विराम लग गया जिससे ग्रामीणों में सरकार के प्रति रोष जताया है.
ग्रामीणों का कहना है कि बंगाणा उपमंडल के गांव निचली खड़ोल में आज भी सड़क सुविधा न होने के चलते मरीजों को चारपाई या पालकी में डालकर अस्पताल पहुंचाया जा रहा है. गांव के लिए खड्ड के रास्ते से होकर पहुंचा जाता है. बरसात के समय खड्ड में अधिक जलभराव के चलते ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालकर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है.
बता दें कि दो सप्ताह पहले गांव की एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से कराह रही थी और महिला ने घर पर ही बच्चे को जन्म दे दिया. बच्चे को समय पर चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण उसकी मौत हो गई. इसी दौरान प्रसूता महिला की अचानक तबीयत बिगड़ गई. किसी तरह प्रसूता महिला को चिकित्सा सुविधा के लिए ग्रामीणों की मदद से चारपाई में डालकर अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन महिला की तबीयत इतनी बिगड़ चुकी थी जिससे उसकी जान को खतरा हो गया था. महिला को पीजीआई चंडीगढ़ पहुंचाया गया, जहां पर महिला की जान को बचाया गया.
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि वीरेंद्र कंवर लगातार चौथी बार कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र विधायक चुने गए हैं और मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं. ग्रामीणों द्वारा कई बार मंत्री को सड़क समस्या से अवगत करवाया गया, लेकिन आश्वसनों के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला. इस गांव के लोगों के लिए सड़क सुविधा न होना काले पानी की सजा से कम नहीं है. ये गांव मुख्य सड़क से डेढ़ किलोमीटर दूर है. ग्रामीणों ने सरकार से जल्द खड़ोल गांव के लिए सड़क सुविधा की गुहार लगाई है.
वहीं, पीड़ित दंपति ने कहा कि गांव के लिए सड़क सुविधा न होने के दंश को जीवनभर नहीं भूल पाएंगे. उनका गांव सड़क सुविधा से जुड़ा होता तो आज उनका बच्चा उनकी नजरों के सामने होता. उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि जल्द गांव को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए. जो दंश उन्होंने झेला है, ऐसा किसी अन्य ग्रामीण के साथ न हो.
मामले में पंचायती राज मंत्री पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत सबसे पहले हिमाचल के हाडली से खड़ोल सड़क बनी है और खड़ोग गांव पूरी तरह से सड़क से जुड़ा हुआ है. मंत्री ने कहा कि इसे अब अपग्रेड करने के लिए फिर से नौ करोड़ रुपये स्वीकृत हुआ है. इसका टैंडर भी हो चुका है और ठेकेदार ने काम भी शुरू कर दिया है. मंत्री ने कहा कि अगर किसी ओर सड़क की बात की जाए तो उसपर हम कार्रवाई कर सकते हैं.
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