ऊना:बेसहारा जानवर इस समय प्रदेश के लिए बड़ी समस्या हैं. जानवरों की समस्या के चलते कई लोग खेती करना छोड़ चुके हैं. वहीं, ये सड़क किनारे घूम रहे बेसहारा जानवर कई बार हादसों का भी कारण बनते हैं. सरकार ने इन जानवरों की समस्या से निपटने के लिए गौ सदन भी बनाए हैं, लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला है.
जिला ऊना के बंगाणा उपमंडल में वेटरनरी डॉक्टर सत्येंद्र ठाकुर और उपनिदेशक पशुपालन विभाग डॉ. जे सेन ने एक अनूठी पहल की है. पशु पालन विभाग के उपनिदेशक के निर्देशानुसार बंगाणा में बेसहारा पशुओं को अति निर्धन पशुपालकों के घर बसाने की मुहिम शुरू की है.
इस मुहिम के तहत बेसहारा पशुओं की सड़क किनारे जांच की जाती है. पशु के गर्भधारण होने पर उसे गरीब पशुपालक को पालने के लिए सौंप दिया जाता है. पशु के गर्भावस्था में ना होने पर उसे 'आर्टिफिशियल इंडक्शन ऑफ मिल्क' तकनीक का सहारा लेकर दूध देने के लिए तैयार किया जा रहा है.
पशु के आकार के हिसाब से एक और डेढ़ महीने के बीच गोवंश लगभग 5 से 10 लीटर दूध देने योग्य हो जाता है. लगभग 100 गोवंश को गरीब व अन्य पशुपालकों के घर में बसाने का लक्ष्य तय किया गया है. अब तक सड़क किनारे जांच कर गर्भधारण किए पशुओं को गरीब पशु पालकों के घर बसाया जा चुका है.