सोलन: हिमाचल के लोग जिस नाटी को अपने सांस्कृतिक शान और विरासत से जोड़ते हैं, राज्य सरकार ने उसी नाटी को शराब के कारोबार से जोड़ दिया. हिमाचल की संस्कृति और गौरव की पहचान कही जाने वाली नाटी को दारू की बोतल पर कुर्बान कर दिया गया है.
सिरमौर के कालाअम्ब में तैयार नाटी नंबर 1 संतरा के नाम से एक शराब बाजार में आई है. जानकारी के अनुसार नाटी न.1 संतरा करीब एक महीना पहले मार्किट में उतरी है. इसका उत्पादन जिला सिरमौर के कुंडला में हो रहा है. इस ब्रांड की बोतल पर हिमाचल की नाटी की तस्वीर लगाई गई है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो हिमाचल की सांस्कृतिक पहचान नाटी को शराब से जोड़ दिया गया है. एक तरफ सरकार नशा निवारण अभियान चलाती है और हिमाचल के युवाओं को नशे की गर्त में डूबने से बचाने की अपील करती है. वहीं, शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए नाटी को ही ब्रांड बना रही है.
आबकारी विभाग को नहीं कोई आपत्ति
जिला सोलन के शराब के ठेकों पर नाटी नंबर 1 संतरा ब्रांड धड़ल्ले से बिक रही है. सवाल यह उठ रहा है कि आबकारी विभाग को शराब की बोतल पर नाटी की फोटो के अलावा और कोई चित्र नहीं दिखा. आबकारी विभाग का कहना की अनुमति नियमों की तहत दी गई है, लेकिन किसी प्रदेश की संस्कृति को इस तरह नीलाम करना कितना जायजा है. हिमाचल की नाटी से प्रदेश के लोगों का एक भावनात्मक लगाव ही नहीं, बल्कि प्रदेश की एक पहचान होने के कारण इस पर गर्व भी है.
सरकारी बैनर पर भी नाटी...शराब की बोतल पर भी नाटी!
नाटी की ये तस्वीर पूर्ण राज्यत्व के स्वर्ण जयंती समारोह के मौके पर सरकारी बैनर पर लगाई गई थीं और यही तस्वीर शराब की बोतल का ट्रेडमार्क बन गई. तो क्या अब सरकारी बैनर पर शराब की बोतल पर एक जैसे ही तस्वीरें होंगी. प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार से लेकर सीएम वीरभद्र सिंह खुद सीएम जयराम नाटी के शौकीन हैं. हिमाचल प्रदेश का कोई भी मंत्री विधायक नाटी की धुन पर थिरकना नहीं छोड़ता, लेकिन देवभूमि की संस्कृति की पहचान नाटी का इस तरह से अपने घर में ही बेअबरू होना समझ से परे है.