सोलन: जिला सोलन में डॉ. यशवत सिंह परमार कृषि और बागवानी विश्वविद्यालय नौणी में बागवानों व वन विभाग के अधिकारियों के लिए कृषि विभाग की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में राज्यकृषि मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने मुख्यातिथि शिरकत की.
इस दौरान कृषि मंत्री ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिमाचल का कोई भी किसान अब आत्महत्या नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाने से किसानों को आत्महत्या करने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा कि किसान पहले रासायनिक खेती अपनाते थे और रासायनिक खेती बहुत खर्चा होता है. इसके लिए किसानों को बैंकों से कर्ज लेना पड़ता था और कर्ज अदा न कर पाने से किसान आत्महत्या करते थे
डॉ. मारकंडा ने कहा कि प्राकृतिक खेती में कोई खर्चा भी नहीं है और किसानों को कहीं से लोन लेने की जरूरत भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के चलते किसानों में आत्महत्या के मामले भी कम होंगे और प्राकृतिक खेती करने वाला किसान कभी आत्महत्या नहीं करेगा.
मंत्री ने कहा कि आईजीएमसी में एक सर्वे के अनुसार 1 साल में 25 से 30% किसान रासायनिक खेती करने के कारण कैंसर से पीड़ित हो चुके हैं. उन्होंने कहा प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि हिमाचल को 2022 तक प्राकृतिक खेती राज्य बनाया जाए. उन्होंने कहा कि बागवानी के क्षेत्र में भी प्राकृतिक खेती चलना शुरू हो गई है.
ये भी पढ़ें: रिज टैंक में बढ़ रही दरारें, MC सिर्फ सर्वे करवाने तक ही सीमित