सोलन: देवभूमि हिमाचल निरंतर प्रगति की राह पर अग्रसर होता जा रहा है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की बात की जाए तो सबसे पहले नाम ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को देखने का मनरेगा नजर आता है.
मनरेगा हर उस व्यक्ति की आस है जो घर बैठे ही घर के आस-पास रोजगार पाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं वहीं, जिस तरह से इस बार कोरोना की वजह से हर एक व्यक्ति के जीवन पर असर पड़ा है कहीं ना कहीं इन सबके बीच मनरेगा उन लोगों के लिए संजीवनी साबित हुआ है. जिन लोगों ने कोरोना वायरस बीच अपना रोजगार गंवाया हो.
कोरोना वायरस के कारण लगाए गए कर्फ्यू एवं लॉकडाउन में जिला सोलन में भी कई लोग घर लौटे थे. खाली हाथ लौटे इन लोगों के लिए मनरेगा योजना वरदान बनी है. योजना के तहत जहां लोगों को रोजगार मिला है, वहीं गांवों में विकास की रफ्तार भी बढ़ी है.
विभिन्न प्रदेशों से लौटे ये लोग अब मनरेगा में रोजगार प्राप्त कर अपने गांव की सूरत निखारकर अपने परिवार का भी पालन-पोषण कर रहे हैं. कामगारों को मनरेगा से काम के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है. इच्छुक कामगारों को रोजगार के तौर-तरीके भी बताए जा रहे हैं. इससे एक तरफ जहां घर लौटे लोगों को काम मिल रहा है वहीं दम तोड़ रही मनरेगा को संजीवनी मिली है. लॉकडाउन के समय में जिला में चार गुणा से अधिक श्रमिक बढ़े हैं.
प्राकृतिक जल स्त्रोतों और खराब हो चुकी सड़कों को हो रहा संवारने का कार्य
पहचान खो चुके मृतप्राय: पोखरों की जीवंतता लौट रही है. नालों व प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित किया जा रहा है. इतना ही नहीं, नालियों के निर्माण सहित सुस्त पड़ी 'नल जल योजना' के कार्य में भी रफ्तार दिख रही है. बहुत सी ग्रामीण सड़कें जो जर्जर हो चुकी थीं, चकाचक हो रही हैं.