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सोलन: जर्जर हालत में सलोगड़ा का प्राइमरी स्कूल, नए भवन की तलाश कर रहा प्रशासन

सलोगड़ा का प्राइमरी स्कूल 40 से 50 साल पुराना है, ऐसे में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए यह कई गांव के लिए केंद्र है. करीब 4 साल पहले परवाणू से शिमला तक फोरलेन का कार्य शुरू हुआ था, ऐसे में फोरेलन की जद में सलोगड़ा स्कूल भी आ चुका है. ईटीवी भारत की टीम ने खुद मौके पर जाकर सारी स्थितियों को समझा तो पाया कि न तो स्कूल भवन में महिला अध्यापकों के लिए शौचालय की सुविधा है और न ही पीने के पानी की सुविधा, और तो और स्कूल पहुंचने के लिए रास्ता भी नहीं है.

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Published : Jul 7, 2021, 8:28 PM IST

सोलन:प्रदेश की जयराम सरकार यह दावे तो कर रही है कि प्रदेश के स्कूलों में बेहतर शिक्षा दी जाए लेकिन जब स्कूलों के भवन ही जर्जर होंगे और गिरने के कगार पर होंगे तो स्कूल आने वाला कौन होगा. यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सोलन से शिमला जाते समय महज 6 किलोमीटर दूर सलोगड़ा स्कूल की हालत इन दिनों जर्जर हो चुकी है.

सलोगड़ा का प्राइमरी स्कूल 40 से 50 साल पुराना है, ऐसे में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए यह कई गांव के लिए केंद्र है. करीब 4 साल पहले परवाणू से शिमला तक फोरलेन का कार्य शुरू हुआ था, ऐसे में फोरेलन की जद में सलोगड़ा स्कूल भी आ चुका है. ईटीवी भारत की टीम ने खुद मौके पर जाकर सारी स्थितियों को समझा तो पाया कि न तो स्कूल भवन में महिला अध्यापकों के लिए शौचालय की सुविधा है और न ही पीने के पानी की सुविधा, और तो और स्कूल पहुंचने के लिए रास्ता भी नहीं है. दीवार का सहारा लेकर आना जाना पड़ता है. हालांकि प्रशासन द्वारा स्कूल के लिए जमीन देखी जा रही है लेकिन जिस तरह से स्कूल के ऊपर फोरलेन कम्पनी द्वारा पुलियों का निर्माण किया गया है, वह बरसात में कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकता है.

प्राइमरी स्कूल के साथ ही सेकेंडरी स्कूल भी हैं, ऐसे में बरसात में स्कूल भवन के ऊपर बनी पुलियां बड़ी तबाही का कारण बन सकती हैं. इससे बच्चों के साथ-साथ अध्यापकों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होना शुरू हो चुका है. हालांकि कोरोना के कारण स्कूलों में बच्चे पढ़ने के लिए नहीं आ रहे हैं लेकिन स्कूलों में अध्यापकों का आना शुरू हो चुका है. स्कूल में न तो अध्यापकों को पानी की सुविधा मिल पा रही है और न ही शौचालय की. जिस कमरे में स्कूल का स्टाफ बैठ रहा है, वहां पर भी कमरे में दरारें आ चुकी हैं. स्कूल की ऊपरी मंजिल के लिए कोई रास्ता ही नहीं बचा है. फोरलेन कम्पनी द्वारा लगाया गया डंगा स्कूल भवन के साथ सटकर लगा है. शायद शिक्षा विभाग और प्रशासन को इसकी चिंता नहीं है, तभी तो यह मामला पिछले 4 साल लटका नजर आ रहा है.

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हालात यही बने रहे तो बरसात में फोरलेन की पुलियों से निकलने वाला पानी स्कूल भवन को जमींदोज कर सकता है क्योंकि यह पानी स्कूल की दीवारों से टकरा रहा है. आज के समय में यदि स्कूल शुरू हो जाएं तो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल पढ़ने भेजने का जोखिम नहीं उठाएंगे क्योंकि उन्हें अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता है. हैरानी इस बात की है कि यदि फोरेलन निर्माण के लिए स्कूल भवन का अधिग्रहण हो गया है तो फिर क्यों शिक्षा विभाग और प्रशासन ने स्कूल को अभी तक सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट नहीं किया है. सलोगड़ा स्कूल की सीएचटी नीलम शर्मा का कहना है कि स्कूल के भवन की हालत जर्जर हो चुकी है. फोरलेन का मलबा स्कूल के स्टाफ रूम में घुस रहा है. स्कूल में केवल एक ही कमरा बचा हुआ है, शौचालय का भी रास्ता नहीं है.

आजकल बरसात नहीं हो रही लेकिन बरसात के दिनों में बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं. यदि वह स्कूल आते हैं तो उनकी सुरक्षा की सबसे बड़ी चिंता स्कूल प्रशासन को होगी. डीसी सोलन कृतिका कुल्हारी का कहना है कि प्राइमरी स्कूल के भवन में दरारें आई हैं लेकिन यह भवन एनएच के अधीन हो चुका है और स्कूल भवन के लिए नई जगह देखी जा रही है. फोरेलन कंपनी द्वारा जो पुली स्कूल भवन के ऊपर बनाई गई है उसको लेकर भी अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि स्पॉट विजिट करें ताकि बच्चो की सुरक्षा बनी रही.

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