सोलन:प्रदेश की जयराम सरकार यह दावे तो कर रही है कि प्रदेश के स्कूलों में बेहतर शिक्षा दी जाए लेकिन जब स्कूलों के भवन ही जर्जर होंगे और गिरने के कगार पर होंगे तो स्कूल आने वाला कौन होगा. यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सोलन से शिमला जाते समय महज 6 किलोमीटर दूर सलोगड़ा स्कूल की हालत इन दिनों जर्जर हो चुकी है.
सलोगड़ा का प्राइमरी स्कूल 40 से 50 साल पुराना है, ऐसे में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए यह कई गांव के लिए केंद्र है. करीब 4 साल पहले परवाणू से शिमला तक फोरलेन का कार्य शुरू हुआ था, ऐसे में फोरेलन की जद में सलोगड़ा स्कूल भी आ चुका है. ईटीवी भारत की टीम ने खुद मौके पर जाकर सारी स्थितियों को समझा तो पाया कि न तो स्कूल भवन में महिला अध्यापकों के लिए शौचालय की सुविधा है और न ही पीने के पानी की सुविधा, और तो और स्कूल पहुंचने के लिए रास्ता भी नहीं है. दीवार का सहारा लेकर आना जाना पड़ता है. हालांकि प्रशासन द्वारा स्कूल के लिए जमीन देखी जा रही है लेकिन जिस तरह से स्कूल के ऊपर फोरलेन कम्पनी द्वारा पुलियों का निर्माण किया गया है, वह बरसात में कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकता है.
प्राइमरी स्कूल के साथ ही सेकेंडरी स्कूल भी हैं, ऐसे में बरसात में स्कूल भवन के ऊपर बनी पुलियां बड़ी तबाही का कारण बन सकती हैं. इससे बच्चों के साथ-साथ अध्यापकों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होना शुरू हो चुका है. हालांकि कोरोना के कारण स्कूलों में बच्चे पढ़ने के लिए नहीं आ रहे हैं लेकिन स्कूलों में अध्यापकों का आना शुरू हो चुका है. स्कूल में न तो अध्यापकों को पानी की सुविधा मिल पा रही है और न ही शौचालय की. जिस कमरे में स्कूल का स्टाफ बैठ रहा है, वहां पर भी कमरे में दरारें आ चुकी हैं. स्कूल की ऊपरी मंजिल के लिए कोई रास्ता ही नहीं बचा है. फोरलेन कम्पनी द्वारा लगाया गया डंगा स्कूल भवन के साथ सटकर लगा है. शायद शिक्षा विभाग और प्रशासन को इसकी चिंता नहीं है, तभी तो यह मामला पिछले 4 साल लटका नजर आ रहा है.