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हिमाचल विधानसभा चुनाव: अर्की में दो ब्रह्मण होंगे आमने सामने, जानिए सियासी समीकरण - हिमाचल विधानसभा चुनाव

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) में इस बार अर्की विधानसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने के आसार है. इस बार इस सीट पर दो ब्रह्मण आमने-सामने हैं. कांग्रेस से संजय अवस्थी को चुनावी मैदान में हैं तो दूसरी ओर रत्न सिंह पाल का टिकट काटकर गोबिंद राम शर्मा पर भरोसा जताया है. आइए जानते हैं इस बार इस सीट पर क्यी समीकरण हैं... (bjp and congress candidate from Arki )

Arki Assembly constituency report
अर्की विधानसभा सीट पर चुनावी समीकरण.

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Published : Oct 19, 2022, 2:06 PM IST

अर्की:हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) चुनाव के लिए 62 सीटों पर हिमाचल बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी हो गई है. वहीं, इर अर्की विधानसभा सीट पर दो ब्रह्मणों को बीच दिलचस्प मुकाबला होने वाला है. अर्की विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के चुनाव लड़ने के दौरान काफी चर्चा में आया था. अब वीरभद्र सिंह नहीं हैं, तो एक बार फिर से ये सीट चर्चा में है. इस बार इस सीट पर दो ब्रह्मण चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं. (bjp and congress candidate from Arki )

अर्की सीट से कांग्रेस जहां एक तरफ मौजूदा विधायक संजय अवस्थी को चुनावी मैदान में उतार चुकी है, वहीं भाजपा ने संगठन के खास माने जा रहे रत्न सिंह पाल का टिकट काटकर 2007 और 2012 में भाजपा के विधायक रहे गोबिंद राम शर्मा पर भरोसा जताया है. लेकिन भाजपा और कांग्रेस को यहां पर निर्दलीय से कड़ी टक्कर मिल रही है. यहां पर कांग्रेस से बगावत कर चुके राजेन्द्र ठाकुर निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. राजू अभी तक अर्की विधानसभा क्षेत्र में करीब 8000 महिलाओं को गंगा दर्शन करवा चुके हैं और यही गंगा दर्शन कांग्रेस भाजपा के उम्मीदवारों के लिए चिंता का विषय बन चुके हैं. (Arki Assembly constituency) (Himachal BJP Candidate list) (Arki BJP Candidate) (Arki Congress Candidate)

अर्की में चुनावी जंग.

सोलन जिले की अर्की विधानसभा सीट पर आज तक 12 चुनावों में से 6 बार कांग्रेस, 4 भाजपा, एक बार जनता पार्टी और एक बार लोक राज पार्टी को जीत मिली है. अर्की विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ भी कहा जाता है. अर्की विधानसभा क्षेत्र में 71 पंचायते औऱ एक नगर पंचायत है यहाँ पर कुल मतदाताओं की संख्या 95,609 है. (Arki assembly seat ground Report)

अर्की विधानसभा सीट पर अब तक ये रहे हैं विधायक: अर्की विधानसभा सीट (Arki assembly seat) पर साल 1972 में हीरा सिंह पाल लोकराज पार्टी से यहां विधायक रहे. 1977 में जनता पार्टी के नगीन चन्द्र पाल विधायक बने. 1982 में फिर नगीन चन्द्र पाल अर्की के विधायक बने, लेकिन इस बार भाजपा की टिकट पर जीत हासिल की थी. साल 1985 में कांग्रेस के प्रत्याशी हीरा सिंह पाल ने अर्की की सीट पर जीत हासिल की. 1990 में फिर नगीन चन्द्र पाल ने भाजपा की टिकट पर यहां चुनाव जीता. उसके बाद अर्की विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने 1993, 1998 और 2003 में अपनी हैट्रिक लगाई और यहां पर धर्मपाल ठाकुर लगातार तीन बार विधायक रहे. उसके बाद 2007 और 2012 में भाजपा के गोविंद शर्मा ने यहां पर दो बार चुनाव जीता. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में गोविंद शर्मा का टिकट कटा और भाजपा ने नए चेहरे रत्न सिंह पाल को चुनावी मैदान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के सामने उतारा, जिसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के निधन के बाद 2021 में उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी ने जीत हासिल की. (Arki assembly seat political equation)

अर्की विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

अर्की विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: साल 1972 में अर्की में लोकराज पार्टी से चुनाव लड़ते हुए हीरा सिंह पाल ने निर्दलीय उम्मीदवार बाली राम ठाकुर को 610 वोटों से हराया था. साल 1977 में जनता पार्टी से चुनाव लड़ते हुए नगीन चन्द्र पाल ने सीपीआईएम के कामेश्वर को 8,317 वोटों से हराया था. साल 1985 में कांग्रेस के हीरा सिंह पाल ने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 6,412 वोटों से हराया. साल 1990 में हुए चुनावों में भाजपा के नगीन चन्द्र पाल ने कांग्रेस के अमर चंद पाल को 10,998 वोटों से हराया. साल 1993, 1998 और 2003 में हुए चुनाव में कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर ने अपनी जीत की हैट्रिक लगाई. 1993 में उन्होंने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 5,727 वोटों से हराया. 1998 में फिर एक बार उन्होंने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 578 वोटों से हराया. 2003 में भाजपा ने टिकट में बदलाव करके गोविंद शर्मा को टिकट दिया, लेकिन 2003 में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर ने भाजपा के गोविंद शर्मा को 1,043 वोटों से हराया.

अर्की विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

साल 2007 में हुए चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की. इस दौरान भाजपा के गोविंद शर्मा ने कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर को 6,687 वोटों से हराया. साल 2012 में फिर गोविंद शर्मा भाजपा की टिकट से जीते और उन्होंने इस बार कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे संजय अवस्थी को 2075 वोटो से हराया. 2017 में भाजपा ने टिकट में बदलाव किया और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के खिलाफ रत्न सिंह पाल को टिकट दी, लेकिन रत्न पाल को इस दौरान 6,051 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. 2021 में वीरभद्र सिंह के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के संजय अवस्थी ने भाजपा के रत्न पाल को 3,219 वोटों से हराया.

अर्की विधानसभा क्षेत्र में ठाकुरों व ब्रह्मणों का दबदबा:अनारक्षित सीट होने के कारण अर्की विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए चुनाव में ठाकुरों और ब्रह्मणों का ही दबदबा रहा है. वर्ष 1967 से लेकर 2021 तक हुए विधानसभा चुनाव में 10 बार ठाकुर विधायक बना, जबकि 3 बार ब्रह्मण नेता विधायक बना. इनमें तीन बार हीरा सिंह पाल, तीन बार नगीन चंद्र पाल, तीन बार धर्मपाल ठाकुर, दो बार गोविंद राम शर्मा, एक बार वीरभद्र सिंह और एक बार संजय अवस्थी अर्की से विधायक बने.

ब्रह्मण मतदाता सबसे अधिक: भाजपा और कांग्रेस ने हर बार ठाकुर और ब्रह्मण चेहरे पर दांव खेला है. हालांकि कांग्रेस ने 2007 के चुनाव में अलग वर्ग से संबंधित प्रत्याशी को तीन बार लगातार विधायक रहे धर्मपाल ठाकुर का टिकट काटकर चुनाव में उतारा था. उस चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. वहीं, कांग्रेस से टिकट कटने के कारण धर्मपाल ठाकुर ने आजाद चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी काफी पीछे रह गया था. जातीय समीकरण के हिसाब से अर्की विधानसभा क्षेत्र में ब्रह्मण मतदाता अधिक हैं. वोट प्रतिशत के हिसाब से अर्की में ब्रह्मणों का करीब 30% वोट है.

पाल वंश का दबदबा: अर्की की राजनीति में डूमेहर क्षेत्र का अपना ही महत्व है. अब तक के चुनाव में इसी क्षेत्र से पाल वंश के नेता छह बार विधायक रहे. इनमें 1967 में हीरा सिंह पाल आजाद प्रत्याशी के तौर पर, उसके बाद 1972 में लोकराज पार्टी के टिकट पर व 1985 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने. वहीं, नगीन चंद्र पाल 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर व उसके बाद 1982 व 1990 में भाजपा के टिकट पर विधायक बने. 1993 व 1998 के चुनाव में भी भाजपा से टिकट मिला, लेकिन वह कांग्रेस से चुनाव नहीं जीत पाए. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सिटिंग विधायक गोविंद राम शर्मा का टिकट काटकर रत्न सिंह पाल का दिया, लेकिन वह कांग्रेस प्रत्याशी वीरभद्र सिंह से चुनाव में हार गए. एक बार फिर रत्न पाल उपचुनाव में उतरे और संजय अवस्थी से हारे. (Himachal Assembly Elections 2022)

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