नाहन:सिरमौर जिले की पांवटा साहिब घाटी के जंगल में टाइगर के पगमार्क (फुट प्रिंट) मिले हैं. एक लंबे अरसे के बाद पांवटा साहिब के शमशेर जंग नेशनल पार्क सिंबलवाड़ा में टाइगर की यह कदमताल हुई है. बताया जा रहा है कि 80 के दशक तक इलाके में टाइगर आता-जाता रहता होगा, लेकिन इसके बाद टाइगर की यहां मौजूदगी को लेकर कोई सबूत नहीं मिले. ऐसे में एक लंबे अरसे के बाद टाइगर की क्षेत्र में कदमताल से वन्य प्राणी विभाग उत्साहित दिख रहा है.
वन्य प्राणी विभाग ने टाइगर के पगमार्क मिलने के बाद ट्रैप कैमरे भी इंस्टॉल कर दिए हैं, ताकि टाइगर की मूवमेंट को लेकर अधिक जानकारी जुटाई जा सके. यह कंफर्म नहीं है कि टाइगर इस समय हिमाचल की सीमा में मौजूद है या नहीं. ऐसी भी उम्मीद है कि वह वापस लौट चुका होगा. दरअसल पहाड़ी प्रदेश में टाइगर की मौजूदगी दुर्लभ है. केवल पांवटा घाटी ही एक ऐसा इलाका है, जहां उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क से टाइगर के आने की संभावना रहती है.
संभावना व्यक्त की जा रही है कि टाइगर यमुना नदी को पार करने के बाद हिमाचल की सीमा में दाखिल हुआ होगा. यमुना नदी का जलस्तर कम होने के बाद ही हाथियों का झुंड भी उत्तराखंड से हिमाचल की सीमा में दाखिल होता आ रहा है, लेकिन इस बार बड़ी बात यह है कि टाइगर ने भी क्षेत्र में दस्तक दी है. वहीं, वन्य प्राणी विशेषज्ञों का मानना है कि पांवटा घाटी के जंगलों के साथ-साथ नेशनल पार्क में टाइगर का भोजन या कहें शिकार प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो गया है.