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औद्योगिक क्षेत्र पांवटा में आए दिन होते रहते हैं हादसे, श्रमिकों को समय से नहीं मिल पाता मुआवजा

औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिक दुर्घटनाओं के सबसे पहले शिकार होते हैं. फैक्ट्री संचालकों द्वारा भले ही इंश्योरेंस करवाए जाते हों, लेकिन उसकी राशि मुश्किल से ही श्रमिकों तक पहुंच पाती है. ये दुर्घटनाएं अक्सर प्रबंधन के लापरवाह रवैये के कारण होती हैं, क्योंकि प्रबंधन द्वारा सुरक्षा से जुड़े उपायों की अनदेखी की जाती है.

special story of etv bharat on Industrial accidents in paonta sahib
डिजाइन फोटो.

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Published : Dec 13, 2020, 7:44 PM IST

Updated : Dec 14, 2020, 7:19 PM IST

पांवटा साहिब: औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिक दुर्घटनाओं के सबसे पहले शिकार होते हैं. ये दुर्घटनाएं अक्सर प्रबंधन के लापरवाह रवैये के कारण होती हैं, क्योंकि प्रबंधन द्वारा सुरक्षा से जुड़े उपायों की अनदेखी की जाती है. फैक्ट्री संचालकों द्वारा भले ही इंश्योरेंस करवाए जाते हों, लेकिन उसकी राशि मुश्किल से ही श्रमिकों तक पहुंच पाती है.

अधिकतर उद्योग मालिक कागजी कार्रवाई भी अधूरी रखते हैं. जिसका खामियाजा बाद में लोगों के लिए मुसीबत बन जाता है. बता दें कि पांवटा साहिब में लगभग 558 के आसपास उद्योग हैं. वहीं, पांवटा साहिब के औद्योगिक क्षेत्र में हुई आग दुर्घटनाओं के 5 सालों में कुल इतने मामले आए सामने.

2015 और 2016 में 108 मामले आए थे.

2016 से 2017 में 141 मामले.

2017 से 2018 में 102 मामले.

2018 से 2019 में 115 मामले.

2019 से 2020 में 119 मामले.

वहीं, अगर पिछले 3 महीने की बात की जाए तो आयरन वैली में आग लगने का मामला सामने आया था जिसमें 3 लोगों को हल्की-फुल्की चोटें आई थी.

वीडियो.

दूसरे मामले में बायोवेदा उद्योग में आग लगने से 25 लाख रुपए का नुकसान हुआ था और तीन लोगों को चोटें आई थी. दूसरा मामला वेल्डन आर्यन का जिसमें पहले आग जली एक लाख का नुकसान हुआ और दूसरी बार आगजनी के कारण 80 लाख रुपए का नुकसान हुआ.

पांवटा साहिब के स्थानीय निवासी नरेंद्र सैनी ने बताया कि उपमंडल पांवटा साहिब में 500 से अधिक उद्योग हैं. भले ही लोगों को रोजगार मिल रहे हैं, लेकिन रोजगार के साथ-साथ हादसों के ग्राफ बढ़ते जा रहे हैं.

उन्होंने कहा सती वाला बहरहाल में भी एक हादसा हुआ था जहां एक व्यक्ति की मशीन के अंदर फंस कर मौत हो गई थी. उन्होंने कहा कि प्रशासन को और सरकार को भी अच्छा कदम उठाना चाहिए कि समय पर उद्योग मालिक अपना इंश्योरेंस करवाएं और इंश्योरेंस का पैसा इन दुर्घटनाओं में हुए घायल लोगों को मुआवजा समय अनुसार मिल सके.

उद्योग में काम कर रहे एक व्यक्ति विनोद ने बताया कि उनके साथ काम कर रहे उनके दोस्त के साथ अचानक उद्योग में हादसा हो गया था. उसके पांव कट जाने की वजह से उन्हें परेशानियां झेलनी पड़ी थी.

मुआवजे के लिए उन्हें 6 महीने तक चक्कर काटने पर मुआवजा नहीं मिल पाया. उन्होंने कहा कि उद्योग में हमेशा ऐसे हादसे होते रहते हैं पर इसके लिए कंपनियों को भी सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि समय अनुसार व्यक्ति को मुआवजा मिल सके.

फोटो.

वहीं, हरीश कुमार ने बताया कि उनके उद्योग में एक व्यक्ति उंगलियां मशीन में आ गई थी. कंपनी से मुआवजे की मांग की गई तो उन्हें समय पर मुआवजा नहीं मिल पाया.

सामाजिक कार्यकर्ता इंदर सिंह राणा ने कहा था कि सिरमौर में काफी उद्योग होने की वजह से यहां पर हादसे का ग्राफ भी बढ़ता जाता है. उन्होंने कहा कि उद्योगों के मालिक और संचालकों को भी लापरवाही की वजह से यह हादसे सामने आते हैं, क्योंकि मशीनरी में लापरवाही की वजह से ऐसी दिक्कतें पेश आती हैं.

वहीं, अग्निशमन अधिकारी मस्तराम ने बताया कि पांवटा उपमंडल में आजदनी के कई मामले सामने आते हैं. ऐसे में प्रशासन तुरंत सख्ती से कार्रवाई करता है. उन्होंने कहा कि मुआवजा और नुकसान तो इंश्योरेंस से ही मिलता है पर समय अनुसार नहीं मिल पाता.

Last Updated : Dec 14, 2020, 7:19 PM IST

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