नाहन: आज के दौर में जहां परिवार बिखर रहे हैं. पति-पत्नी के रिश्ते दांव पर लगे है, मोहब्बत और अपनापन खोखला हो रहा है. वहीं ईटीवी भारत 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन डे पर आपको एक ऐसी प्रेम कहानी से रुबरू करवाएगा, जो किसी हीर-रांझा, रोमियो जूलियट की नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक शहर नाहन में इतिहास के पन्नों में दफ्न एक अमर प्रेम कहानी है. जो आज अपने आप में मिसाल है.
रियासतकाल में एक अंग्रेज अफसर की पत्नी ने अपने पति की बगल में दफन होने के लिए 38 साल मौत का लंबा इंतजार किया. यहां जिक्र लेडी लूसिया पियरसाल का हो रहा है. रियासतकाल में लूसिया अपने पति डॉ. इडविन पियरसाल के साथ नाहन पहुंची थीं.
50 साल की आयु में हुआ पति का इंतकाल
लूसिया के पति डॉ. इडविन पियरसाल महाराजा के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट थे. डॉ. पियरसाल ने महाराजा के यहां करीब 11 साल अपनी सेवाएं दीं और 19 नवंबर 1883 में डॉ. इडविन का 50 साल की आयु में निधन हो गया. महाराजा ने डॉ. पियरसाल को मिलिटरी ऑनर के साथ ऐतिहासिक विला राउंड के उत्तरी हिस्से में दफन करवाया.
मरने से पहले पियरसाल ने यह जगह खुद चुनी थी और कहा था कि उन्हें यहां दफनाया जाए. उस वक्त लूसिया 49 साल की थीं. डॉ. पियरसाल की भांति लूसिया भी एक रहम दिल और रियासत में लोकप्रिय महिला के तौर पर विख्यात थीं. कहते हैं कि पति की मौत के बाद लूसिया वापस इंगलैंड नहीं गईं. उन्होंने अपने अन्य परिवार के सदस्यों को भी छोड़ दिया.