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नाहन में अनूठे तरीके से मनाया गया रक्षाबंधन, आज भी निभाई जा रही रियासतकाल से चली आ रही परंपरा - hp news

ऐतिहासिक शहर नाहन में रक्षा बंधन के साथ आसमान में पतंग उड़ाने की परंपरा रियासत काल से चली आ रही है, जो आज भी जारी है. रक्षा बंधन पर पतंग की रेशम की डोरी भाई-बहन के इस पवित्र रिश्ते में अपना विशेष स्थान रखती है.

नाहन में अनूठे तरीके से मनाया गया रक्षाबंधन, आज भी निभाई जा रही रियासतकाल से चली आ रही परंपरा

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Published : Aug 15, 2019, 5:28 PM IST

नाहन: सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में रक्षा बंधन का पर्व एक अनूठे तरीके से मनाया गया. एक ओर जहां देशभर में राखी बंधवा कर भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देकर इस त्यौहार को मनाते हैं, वहीं नाहन में रक्षा बंधन पर पतंग की रेशम की डोरी भाई-बहन के इस पवित्र रिश्ते में अपना विशेष स्थान रखती है.

नाहन में अनूठे तरीके से मनाया गया रक्षाबंधन

दरअसल, 1621 से ऐतिहासिक शहर नाहन में रक्षा बंधन के साथ आसमान में पतंग उड़ाने की परंपरा रियासत काल से चली आ रही है, जो आज भी जारी है. हालांकि समय के साथ-साथ पतंगबाजी में कुछ कमी जरूर आई हैं, लेकिन परंपरा आज भी कायम है. नाहन में रक्षा बंधन के दिन पहले भाईयों ने अपनी बहनों से राखी बंधवाई और बाद में घर की छतों पर जाकर पतंगबाजी की.

बता दें कि शहर में रियासतकाल से ही पतंगबाजी की परंपरा चली आ रही है. सिरमौर जिला जब एक रियासत थी, उस समय सिरमौर रियासत के राजा भी रक्षा बंधन पर पतंगबाजी करते थे. यही नहीं रियासत के दौरान पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं भी आयोजित होती थी. आज भी पतंगबाजी के दौरान जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की पतंग को काटता है, तो इस दौरान बोलो बे छोकरो काटे ओये के जुमले गूंज रहे थे. यह जुमला पतंगबाजी की परंपरा की तरह बेहद पुराना है, जोकि आज भी कायम है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले पतंग उड़ाने की परम्परा का ज्यादा रिवाज था, लेकिन अब इस परम्परा में काफी कमी आई है. रियासत से चली आ रही इस परंपरा को संजोए रखे जाने की जरूरत है.

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