नाहन: देवभूमि हिमाचल के किसान दिन-प्रतिदिन प्राकृतिक खेती की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. इसके चलते जिला सिरमौर के एक किसान नरोत्तम सिंह ने भी 'सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती' अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है.
नरोत्तम सिंह उपमंडल नाहन की मात्तर पंचायत के डाकरावाला गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने 'सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती' की जीवामृत व घनजीवामृत विधि को अपनाकर कृषि की गुणवत्ता में अच्छी बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही नरोत्तम ने मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करके अपनी आर्थिकी को भी सुदृढ़ किया है.
बता दें कि कि नरोत्तम सिंह ने कृषि विभाग की ओर से कुफरी में प्राकृतिक खेती पर आयोजित शिविर में प्रशिक्षण हासिल किया था. इस दौरान उन्होंने जीवामृत घोल, सूखा घनजीवामृत व बीजामृत आदि बनाने की विधि और खेती में प्रयोग होने वाली सामग्री की जानकारी हासिल की. प्रशिक्षण के बाद नरोत्तम सिंह ने अपने खेतों में रसायनों का प्रयोग छोड़कर प्राकृतिक विधि से कृषि करने का निर्णय लिया.
कैसे शुरू की प्राकृतिक खेती
नरोत्तम सिंह ने अपनी 7 बीघा जमीन में से 5 बीघा जमीन पर धान, गेहूं, लहसुन, मटर, मक्की और विभिन्न सब्जियों में कचालू, भिंडी, घीया, कद्दू, खीरा और मिर्च की प्राकृतिक खेती करना शुरू किया. प्राकृतिक विधि से खेती करने के बाद नरोत्तम सिंह ने महसूस किया कि जीवामृत और घन जीवामृत के प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता और पानी की क्षमता को बनाए रखने में काफी सुधार हुआ है.
इसके साथ ही मिट्टी में देसी केंचुओं की मात्रा बढ़ी गई है. इससे मिट्टी अधिक उपजाऊ होने लगी है और जीवामृत, बीजामृत व घनजीवामृत बनाने से कम पैसों में अधिक खेती करना संभव हो रहा है. वहीं, प्राकृतिक खेती से नरोत्तम सिंह ने अपने खेतों की विभिन्न फसलों की पैदावार में भी अंतर देखा है.