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मां-बेटे के मिलने का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय रेणुका जी मेले का आगाज, मुख्य सचिव ने किया शुभारंभ

6 दिनों तक लगने वाले अंतरराष्ट्रीय मेला श्री रेणुकाजी का गुरुवार को शुभारंभ हो गया है. मेले का शुभारंभ मुख्य सचिव आरडी धीमान ने ददाहू स्कूल मैदान से भगवान श्री परशुराम जी की पालकी को कंधा देकर किया.

Chief Secretary RD Dhiman
रेणुका जी मेले का आगाज

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Published : Nov 3, 2022, 10:26 PM IST

नाहन: मां-बेटे के मिलन का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय मेला श्री रेणुकाजी गुरुवार दोपहर शुरू हो गया है. चुनाव आचार संहिता के चलते इस बार 6 दिवसीय इस मेले का शुभारंभ मुख्य सचिव आरडी धीमान ने ददाहू स्कूल मैदान से भगवान श्री परशुराम जी की पालकी को कंधा देकर किया. बता दें कि रेणुकाजी मेले का शुभारंभ परंपरा के मुताबिक प्रदेश के मुख्यमंत्री करते हैं लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से इस बार मुख्य सचिव आरडी धीमान ने इस परंपरा को निभाया.

दरअसल, ददाहू खेल मैदान में देवपूजन करने के बाद मुख्य सचिव ने भगवान परशुराम जी की पालकी को कंधा दिया और विधिवत शोभायात्रा का शुभारंभ किया. शोभायात्रा के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मेले का शुभारंभ हो जाता है. ददाहू से शोभा यात्रा शाम ढलने से पूर्व रेणुकाजी तीर्थ के त्रिवेणी संगम पर पहुंचेगी, जहां देवताओं का पारंपरिक मिलन होगा. बता दें कि साल में एक बार भगवान परशुराम अपनी माता रेणुका जी से मिलने यहां पहुंचते थे. इस मिलन को नजदीक से निहारने व इस पावन पलों के साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम मेले में दिखाई दे रहा है.

मां-बेटे के मिलने का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय रेणुका जी मेले का आगाज

प्राकृतिक लोक वाद्य यंत्रों, शंख, घंटियाल, ढोल-नगाड़ों, बैंड बाजे के साथ निकाली गई शोभा यात्रा के दौरान पूरी रेणुका घाटी माता रेणुका जी और भगवान परशुराम के जयकारों से गूंज उठी. लोगों ने ढोल नगाड़े की धुनों पर माता रेणुका और भगवान परशुराम के जयकारे लगाए. इस दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्र लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे.

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मेले के शुभारंभ अवसर पर मुख्य सचिव आरडी धीमान ने प्रदेशवासियों को अंतरराष्ट्रीय मेला श्री रेणुका जी की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि यह उनके सौभाग्य की बात है कि आज भगवान परशुराम की पालकी को कंधा देकर रेणुकाजी मेले का शुभारंभ करने का अवसर प्राप्त हुआ. उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम के जीवन से सभी को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है. भगवान परशुराम को एक बहुत बड़े महापुरुष व ईश्वर का अवतार माना जाता है.

उन्होंने कहा कि मां-बेटे के मिलन के प्रतीक में यह मेला मनाया जाता है, जिसकी यहां से लोगों में बेहद श्रद्धा है. यह परंपरा कायम रहनी चाहिए. उन्होंने कहा कि श्री रेणुका जी विकास बोर्ड को चाहिए कि वह भगवान परशुराम की शिक्षाओं व जीवन पर प्रचार प्रसार किया जाए, ताकि लोग आध्यात्मिक तरीके से जुड़ सके.

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